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पहला हिस्सा
के कनारे मेह बहुत बरसता है । क्योंकि समुद्र को भाफ में पानी का हिस्सा ज़ियादा रहता है। किसी किसी पहाड़ की जड़ में भी बरसात बहुत होती है। क्योंकि समुद्र को भाफ उड़ती उड़ती जब उस पहाड़ से टकरा कर रुकती है उसी जगह पानी हेाकर बरम पड़ती है । इस मुलक में पूरब और दक्खन को हवा से जियादा मेह त्राता है । क्योंकि समुद्र उसी तरफ़ पड़ता है ॥ पर इस का कुर ठिकाना नहीं है। क्योंकि ऊंचे ऊंचे पहाड़ और सखे माखे रेगिस्तान का भी असर कहीं कहीं हे ॥
बिजली कुछ बादले हो में नहीं रहती है। थोड़ी बहुत सब जगह और नक्सर चीजों में रहा करती है ॥ यहां तक कि हमारे और तुम्हारे बदन में भी है । और कलां के ज़ोर से भी निकल सकती है । जब बादल के दो टुकड़े ऐसे आकर पापस में मिलते हैं कि दोनों में दो तरह की बिजली या एक में ज़ियादा और दूसरे में कम होती है। और यह एक में से निकल कर दूसरे में जाती है । तब उस को चमक दिखलायो देता है । और हवा को जो उस का धक्का लगता है वही गरलने की अावाज़ सुनायी देती है ॥ लेकिन चमक से गरज कुछ देर पीछे मुनायी देती है। जैसे ताप की रंजक उड़ने से बनकि उस के मुंह से घां निकलने से कुछ देर पोछे उस को
आवाज़ सुनने में आता है ॥ सब यह है कि रोशनो तो एक सिकंड यानी मिनट के सठवें हिस्से यानी अढाई विपल में एक लाख छयसो हजार मील के लग भग चलती है ॥ और श्रावाच इतने अर्म में बन पांच ही मोत्न पहुंचती है । इसी के नफावत का हिसाब कर के बादल और तोप को दी जान सकते हैं। बिजली बादल कोद कर जिन पर गिरती है अगर
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