Book Title: Vidyankur
Author(s): Raja Shivprasad
Publisher: Raja Shivprasad

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Page 77
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पहिला हिस्सा ॥ वही बाहर की हवा का बोझ सम्हालती है | पानी के अंदर पानी से भरे हुए घड़े का बोझ मालूम नहीं होता है । अगर किसी बरतन के मुंह पर कोई नाजुक चीज़ रख कर उस के अंदर की हवा कल से निकाल डाला बाहर की हवा के बोझ से ज़रूर टूट जायगी अगर किसी ने अपना हाथ रक्खा होगा जब तक उस में फिर हवा न भरी जाय हर्गिज़ नहीं उठ सकता है | इसी हवा के दबाव से आदमी के बदन में लाहू घूमता है | अगर किसी बंद बरतन में किसी जानवर को रख कर उस की हवा निकाल ला तुर्त उस का बदन फट जाता हे ॥ ऊंचे पहाड़ों पर जहां हवा का दबाव बहुत कम है चढ़ने मे दुख होता है । चमड़ा फट कर बल्कि नाक कान से लोह बहने लगता है | हवा के दबाव यानी बोझ का अंदाज़ा करने के लिये बरामेटर बनाते हैं । एक पियाले में पारा भर देते हैं और फिर एक शीशे की नली में जिस का एक तरफ़ का मुंह बंद होता है पारा भर कर और उस की दूसरी तरफ़ का मुंह उस पियाले के पारे के अंदर ले जा कर उसे उस में सीधा खड़ा कर देते हैं ॥ नली के अंदर का पारा कुछ टूर नीचे उतर आता है । लेकिन उनतीस या तोस इंच तक ऊंचा उस नली में ठहरा रहता है | क्योंकि नली के भीतर नो पारे के ऊपर शून्य है हवा का कुछ भी ज़ोर और दबाव नहीं है । और बाहर पियाले में पारे पर हवा का मामली यानी एक वर्ग इंच पर साढ़े सात सेर का दबाव है ॥ निदान जब कहीं किसी सबब से हवा कुछ हलकी होगी नली का पारा नोचे उतरेगा | जब जितनी भरी होगी यानी हवा का दबाव बढ़ेगा उतना ही पारा ऊपर चढ़ेगा | जितना ऊंचे जाओ हवा हलकी मिलेगी । इसी से जिस पहाड़ पर जितना पारा नीचे For Private and Personal Use Only ΣΕ

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