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विद्यांकुर
करता है। लेकिन अपनी जगह से नहीं हटता है। दिखलायो ऐसा देता है कि जीन स्थिर हे सरज परब से पच्छम सिर पर दौड़ा चला जाता है । लेकिन चलती हुई नाव पर से नदी का कनारा भी ना ही दौड़ता हुआ दिखलायी देता है | ग्यारह ग्रह बुध शुक्र पृथ्यो मंगल वेसटा जूना संारिस पालस वृहस्पति शनैश्चर और यूरेनस हैं इन के सिवाय बारह ग्रह अब और भी नये जाहिर हुए हैं । उन में नेपचयन बड़ा और सब से दूर है बाको ग्यारह वेस्टा और जनो बगैर: को तरह छोटे २ हैं ॥ बुध शुक्र मंगल वृहस्पति और शनैश्चर यह पांच नाम ते! इधर के हैं ! जाको पृथ्वी के सित्राय सब अंगरेजी हैं ॥ छोड़े दिन से मालम हुश हैं जो जो फरंगिस्तान में बड़ी से बड़ी दनि बनती जाती हैं उन के ज़ोर से नये नये ग्रह जाहिर होते जाते हैं। चांद के ग्रहों में नहीं गिना। वह उपग्रहों में गिना गया ॥ ग्रह सूरज के गिर्द घूमता है। उपग्रह यानी चांद अपने राह के गिर्द घूमता हुआ सूरज के गिर्द घूमता है । यह एक हमाग चांद हमारी ज़मीन के गिर्द अट्ठाईस दिन के लग भग असे में घूमता हुआ सूरज को फेरो देता है। बाकी अठारह इसी तरह अपने अपने ग्रहों के गिर्द घूमते हैं उन में से आठ चांद शनैश्चर अपने साथ लिये फिरता है ॥ छ यूरेनस के गिर्द घूमते हैं । और चार वृहस्पति के गिर्द फिरा करते हैं । चांद यानी उपग्रह सब ग्रहों की तरह बे गशनो हे । सरज की रोशनी से वह रोशन रहते हैं। हम ज़मोन वालों को सदा अपने चांट का पूरा रोशन हिस्सा नहीं दिखलायो दे सकता है। इसी लिये पर्या मासो से अमावस तक उस को कला का घटाव और फिर अमाव से पूर्णमासी तक बढ़ाव
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