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पहिला हिस्सा
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शागिर्द-खब आप ने ते। थोड़ाही में मुभम मोदीइक का भेद बतला दिया। और तमाम भनाजी से वाकिफ़ कर दिया
उस्ताद-ऐसी बात कभी जो में न लानागार का लोन का एक दाना देख कर अगर कोई कहे कि मैने सारी हिमालय पहाड़ देख लिया तो कह सकता है क्योंकि वह बाल का दाना जिस पहाड़ का एक हिस्सा है वह हिपालय पहाड़ आखिर महदद है। लेकिन इस पैदाइश की तो हद ही नहीं बिलकुल अनन्त यानी ना मदद है । उस मालिक पैदा करने वाले की पैदाइश के सामने यह सारा भूगोल उस बाल के दाने की भी बराबरी नहीं कर सकता है। तमाम सूरज चांद नक्षत्र और यह उस की पैदाइश के अंदर हैं आदमी कहां उसका पार पा सकता है । देखा यही सरज जिस से ज़मीन को गर्मी और रोशनी मिलती है। और जिसको शक्ल और नक्षत्र और ग्रह सब तारों से बड़ी दिखलायो देती है ॥ तुम से कितनी दूर है। जो घंटे में तीस कोस चलने वाला घोड़ा यहां से बराबर चला जाय एक सो अस्सो बरस के करीब में मुशकिल से मरज तक पहुंचेगा उस को रोशनी का भी जो एक [संकंड में एक लाख छियासो हज़ार मील चलती है ज़मीन तक पहुंचने में आठ मिनट से ऊपर लग जाते हैं निदान मरज तुम से नौ करोड़ मील यानी साढ़े चार करोड़ कोस दूर है ॥ ज़मीन का व्यास तो अटकल से चार हो हज़ार कोस का है। लेकिन सूरज का चार लाख काप से ज़ियादा का है । अगर ज़मीन को मटर माना । सूरज को मटका जाना ॥ दूरी के सबब ऐसा छोटा दिखलायी देता है । उस के गिर्द ज़मीन समेत ग्यारह यह जिस सिलसिले से नीचे लिखे हे घमा करते हैं वह सदा स्थिर रहता है। गो वह लट्ट की तरह अपनी धुरी पर घमा
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