Book Title: Vidyankur
Author(s): Raja Shivprasad
Publisher: Raja Shivprasad

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Page 75
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पहला हिस्सा में चला जाताहे और गर्दन ख़ाली होजाती है तब जहांतक पारा रहता वहां बत्तीस का निशान कर देते हैं और फिर खोलते हुए पानी में उस शीशको डालनेसे जहां 0 तक पारा चढ़ता है वहाँ दोसौ बारहका निशान PAal बना देते हैं ॥ निदान इन दोनों निशानों के बीच में उस शीशो को गर्दन को एकसो अस्सो बराबर अंशों में बांट कर छोड़ देते हैं। यहाँ तक कि जब जहां जितनी गर्मी होती है वह पार? उस शीशी की गर्दन में उतने ही अंश तक चढ़ता है और उस अंश पर जो गिनती लिखी रहती है। उसे देख कर तुत गर्मी का अंदाज़ा कर लेते हैं। इस नीचे लिखी हुई तस्वीर में वह शोशी एक कठ को तख्ती पर जड़ी है । और असो अंश तक पारा चढ़ा है इसी लिये उसे वहां तक काली बनादी है | अगर बत्तीस तक पारा उतर आवेगा । पानी जमकर यख होजावेगा । अगर दो सौ बारहतक चढ़ जावेगा । पानी तुर्तखोलने लगेगा। हवा शागिर्द-आपने कहाकि भारी हवा हलकी भाफको ऊपर उड़ा ले जाती है। तो क्या हवा में भो बोझ है जो भारी होती है। ___ उस्ताद-वेशक और सब चीज़ों की तरह हवा में भी बोझ हे यह भगोल चारों तरफ़ हवासे घिरा है । लेकिन चालीस पतालोस मोल के ऊपर फिर कुछ भी हवा नहीं है न वहाँ बाटन्न बर्फ हे न प्रांधी पानी और न वहां कोई ज़मीन का कानदार ना और जो सकता है । अगर बहुत सी कर remARE For Private and Personal Use Only

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