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पहिला हिस्सा
में तपाये हुए लोहे को हाथ में लो और वह गर्म मालूम हो तो क्या है ? उस में से उतनी गर्मी निकल कर तुम्हारे हाथ में समाती है कि जितनी से दोनों बराबर गर्म बन जायें B जो तुम अपना एक हाथ ठंढे और दूसरा गर्म पानी में डुबाओ और फिर एक साथ निकाल कर अपने दोनों हाथों को ऐसे पानी में ले जाओ कि जो न ठंढा है न गर्म तो जो हाथ तुम्हारा पहले ठंडे पानी में था उसे तो गर्म और जो गर्म में था उसे ठंढा मालूम देगा। क्योंकि उस हाथ में तो गर्मी समावेगी और इस से निकलेगी निदान सर्दी कोई अलग चीज़ नहीं है जो जितना कम गर्म होगा वह उतना ही ठंढा कहा जावेगा ॥ यख यानी पाले में से भी चिनगारी निकलती है । लेकिन कोई चीज़ जलद और कोई देर में गर्म होती है ॥ जो पीतल के बोताम लगी कुरती पहन कर आग के सामने खड़े हो पहले बाताम पीछे कुरती का कपड़ा गर्म होगा। इसी तरह जो चांदी तांबा जस्त पत्थर और मिट्टी के बराबर एक से टुकड़े लेकर आग में रक्वो पहले चांदी का फिर तांबे का फिर जस्त का फिर पत्थर का और तब मिट्टी का धिकेगा ॥ निदान जो चीज़ आदमी के वन मे कम गर्म होगी । उस की गर्मी खाली छूने से मालूम न पड़ेगी बल्कि उस के ज़ाहिर करने की और तरकीबें हैं जैसे दो चीज़ों को आपस में रगड़ना देखो बांस से बांस जब रगड़ खाता है। आग निकल कर जंगल का जंगल जल जाता है ॥ या एक को दूसरे से ठोकना देखा इस ढब चक्सक से आग निकलती है । या दो चीज़ों का आपस में मिलना देखा तेज़ाब से जो चीज़ मिलती है जल जाती है |
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जिस चीज़ में जितनी गर्मी समाती है उतने ही उस के परमाणु दूर दूर फैल जाते हैं। गोया अपने दर्मियान गर्मी को
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