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विद्यांकुर
किसी जगह रक्खी हो तो जिस तरह ऊपर की रुई के बोझ से नीचे की रुई दबी और ठस रहती है । उसी तरह नीचे की हवा भारी और ऊपर को हलकी होती है । लेकिन जब ज़मीन की गर्मी लगने से नीचे की हवा फैल कर हलकी हो जाती है। तो ऊपर की नीचे प्राकर नीचे वाली हवा को ऊपर उड़ा देती है। जैसे पानी के तले तेल ले जाओगे। तो तेल को ऊपर और पानी को तले देखोगे। और यही सबब है सदा हवा के बहने का जो कभी किसी जगह यकबारगी हट्ट से ज़ियादा गर्मी सर्दी हो जाने के सबब कोई हिस्सा हवा का बड़े ज़ोर से चला आता है। तो वही आंधी तूफ़ान और बगूला कहलाता है ॥ यह कभी कभी ऐसे ज़ोर से आता है। कि बड़े से बड़ा पेड़ जड़ से उखड़ जाता है और पक्के से पक्का मकान गिर पड़ता है ॥ तेज़ हवा एक घंटे में पैतालीस मील तक जाती है। लेकिन आंधी एक सौ मील तक यानी तोप के गोले में भी ज़ियादा जलद चलती है ॥ निदान हिसाब करने से मानम हुआ है कि एक एक बर्ग इंच पर साढ़े सात सात सेर बोझ हवा का पडता है। यानी जो जितना लंबा चौड़ा होता है उतना ही बोझ के तले आता है ॥ किसी अच्छे मोटे ताजे कादमी का बदन नापो तो दो हज़ार बर्ग इंच से कम न पाओगे। पस ऐसे आदमी पर पौने चार सो मन बोझ हवा का सदा बना रहता है कि जो बीस चौवलदी गाड़ियों पर भी मुशकिल से लाद सकोगे ॥ तुम बड़े अचरज में आओगे कि जो आदमी के बदन पर सदा इतना बोझ बना रहता है तो उस को मानम क्यों नहीं होता है बल्कि वह पिस कर चकनाचर क्यों नहीं हो जाता है । सबब इस का यह है कि आदमी के सारे बदन में हवा भी है।
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