Book Title: Vidyankur
Author(s): Raja Shivprasad
Publisher: Raja Shivprasad

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Page 65
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पहला हिस्सा पांच मील के लग भग समुद्र के धरातल से खड़ा ऊंचा हिसाब में आया है । बारह तेरह हज़ार फट के ऊपर सर्दी से सदा बर्फ जमा रहता है । न वहां कुछ उगता है न कोई जानवर जा सकता है । उस से नीचे गांव शहर बसते हैं। और लोग खब खेतियां करते हैं । शागिर्द-पहाड़ क्यों बनाया। इस से क्या फाइदा । उस्ताद-पहाड़ बहुत काम आते हैं। अदना फाइदा यह है कि उस के पत्थर से मकान बनते हैं । सिल बट्टे कुम्हार के चाक चक्की के पाट तय्यार होते हैं । बाज़ार और गलियों में फर्श लगाये जाते हैं ॥ ऐसे कामों के लिये कड़े पत्थर अच्छे । नर्म निकम्मे ॥ जो पानी के ज़ोर से घिसते हैं । उन्हीं का बाल पहाड़ी नदियों में देखते हैं | अक्सर पत्यर चमकदार होते हैं । होरा सफ़ेट पन्ना हरा नीलम काला माणिक लाल पुखगज पीला गोमेदक नारंजी और लहसनिया लहमन के रंग का यह सातों खान से निकलते हैं । मोती और मंगा मिला कर नव रत्न कहलाते हैं। मोती और मंगा दोनों समुद्र से निकलते हैं ॥ रत्न बहुत थोड़े और बड़ी तलाश से मिलते हैं। इसी लिये भारी दामों पर बिकते हैं। रस्त्रों के सिवाय और भी कई किसम के पत्थर महंगे मिलते हैं। जेसे फ़ीरोज़ा लाजवर्द मुलेमान यशम ग़ोरी अकोक़ बिलार तामड़ा पितानिया अबगी इलायचा दालचना सितारा सुमाक खट्ट संगममा संगमर्मर ये सब बहुत काम में आते है । ___स्लेट जिस पर लड़के लिखते हैं एक किमम का नर्म पत्थर हे पहाड़ी लोग उस से अपने मकानों की छत्ते पाटते हैं। पत्थर के कोयले भी खानों से निकलते हैं ॥ जब गढ़े बहुत गहरे हो जाते हैं । कोयले कलां से ऊपर निकालते हैं। असल हन For Private and Personal Use Only

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