Book Title: Vidyankur
Author(s): Raja Shivprasad
Publisher: Raja Shivprasad

View full book text
Previous | Next

Page 43
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पहला हिस्सा से भी छापने का काम निकाल लेते हैं। मक्वन मोम साबुन मिली हुई चिकनी सियाही से रंगीन काग़ज़ पर लिखकर पत्थर पर ऐसी हिक्मत से जमाते और दाते हैं कि वह सारे अक्षर काग़ज़ छोड़कर पत्थर पर उभर आते हैं। फिर उसो पत्या पर पानो से नम करके और तेल को मियाही लगा के काग़ज़ रखते हैं। और कल घुमा कर छापते चले जाते हैं । दौलत और मिह्नत जिस के बदले जब चाहा कुछ मिल सके वही धन टोलत भाइदाद और पंजी है और जो दसरे को रोक टोक विना जिसे चाहे दे सके उसी को वह गिनी जाती है । दौलत बे मिहनत नहीं मिलती। साना कि किसी को बड़ों की दौलत वरसे में हाथ लग जाय लेकिन आखिर बड़ों ने तो मिह्नत की । बड़े नादान हैं वे जो इस भरोसे पर आसकती बने बैठे रहें । और ज़रा भी अपने हाथ पैर न हिलावें ॥ बे मिहनत रोटी कपड़ा घर कुछ भी पैदा नहीं हो सकता है। आगम उसी को है जो अपनी कमाई का भरोसा रखता है । जो जिस का है बे उस की मर्जी के चुराकर या ज़बर्दस्तो छीन कर उम से न लेना चाहिये। क्योंकि चार और डाकुओं को हाकिम बड़ी कड़ी मज़ा देता है और जो इसी तरह छिन जाय तो फिर काहे को कोई मिहनत से कुछ पैदा करे । लड़कों को चाहिये कि गिरी पड़ी और भली भटकी भी कोई चीज़ कहीं पावें । उस के मालिक के पास पहुंचावें या मालिक मालम न हो तो पुलिस के हवाले करदें । नहीं तो उन पर चारो का शक होगा । और ऐसा सुभाव पड़ जाने से फिर किमी न किसी दिन उन्हें जेलखाने में जाना पड़ेगा । चारी बहुत बुरो है। बगी For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89