Book Title: Vidyankur
Author(s): Raja Shivprasad
Publisher: Raja Shivprasad

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Page 55
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पहिला हिस्सा लोहे को खींचता है। और दूसरी यह कि उस को मछली या सई बनाकर किसी कांटे पर आड़ी रख दी जावे तो उस का लंबान सदा उत्तर दक्खन रहता है । लेकिन अगर कल से बिजली निकाल कर उस विजली से भरे किसी तार को उस मछली या मई के पास लेजाओगे। तो उस के लंबान को घरब पच्छ्म पाओगे ॥ जब वह तार उस के पास से हटेगा। उस का लंबान फिर उत्तर दक्खन हो जावेगा। पहली बात तो दरी लोहार और लड़कों के काम की है। सूई खाने पर दरो जब चुम्बक ज़मीन पर फेरता है अगर वहां गिरी होती है उम में चिपक पाती है ॥ लोहार इसी तरह लोहचन का घल गर्द और कूड़े से जुदा कर लेते हैं और फ़रंनिस्तान में अक्सर नकाब की तरह तुम्बक को एक जाली मी काम के वक्त मुंह पर डाले रहते हैं । जिस में लोहा रेतने और साफ़ करने में उस के परमाणु उड़कर नाक मुंह के भीतर न चले जायें और इस ढब फेफड़े को उन बुरी बीमारियों से जो लोहा नाक मुंह के भीतर चले जाने से पैदा हुआ करती हैं बचे रहते हैं । लड़के खिलौने बनाते हैं आंखों देखी बात है किसी लड़के ने एक छोटी सी पाली लोहे की वतक बनवा कर पानी के हाज़ में डाल दी । और चुम्बक एक काग़ज़ को मछली के पेट में छिपा कर और उस मछली को अपनी छड़ी से बांध कर उस बतक को दिख नायी ॥ निदान जिधर को उस लड़के ने अपनी छडी फेरी और मछली दिखलाई । वह बतक उस चम्बक को खिचावट यानी आकर्षण शक्ति से पानी पर दौड़ी चली आयो । नादान अचरज करते थे। दाना उस लड़के को होशया सराहते थे । दूसरी बात के मालम होने से कम्पास यानी For Private and Personal Use Only

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