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धियांकुर
'वारः लकीर और कोनों के छोटे बड़े होने के सबब बहुत किस्म के होते हैं ॥ जैसे जिस तिकोन को दो लको रे यानी उस के दो भुज बराबर होंगे समद्विबाहु त्रिभुज कहलावेगा। और जिस चौकान में सामने को दो दो लकीरें आपस में बराबर और काने सब समकोन हांगे वह नात्यायत कहा जावेगा।
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समद्विबाहु चिभुज जो लकीर सोधी न होगी बेशक टेढ़ी होवेगी जैसे 5 और जो गोल घूम कर मिल जाती हे यानी किसो जगह को घेर लती है वह परिधि और उसका बीचों बीच केंद्र और केंद्र पर से जा लकोर उस को बगबर दो टुकड़ों में बांटे वह व्यास और जिस । परिधि जगह को घेरे बह वृन कहो / केट जावेगी जैसे ॥ चीज़ों का परिमाण यानी मिकदार देखने छूने और एक का दसरे के साथ मिलान और अंदाज़ा करने से जाना जाता है । जैसे पहाड़ आदमी से और आदमी कुता बिल्ली से बड़ा होता है।
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यास
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