Book Title: Vidyankur
Author(s): Raja Shivprasad
Publisher: Raja Shivprasad

View full book text
Previous | Next

Page 35
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पहला हिस्सा 327 वह रात ही को चलती है। और जो दिन में चरती धुगती हे वह दिन को अपनी राह काटती हैं उस मालिक पेदा करने वाले ने जानवरों का चमड़े और बाल भी उन के देस को सर्दी गर्मी के मुवाफ़िक दिये हैं। देखा हिमालय में सुगगाय के बाल कैसे लंबे और यहां की गाय के केसे छोटे रहते हैं। वहां की भेड़ बकरी के बाल भी केसे लंबे सुरागाय और गर्म होते हैं । यहां हम वेसे कहीं नहीं देखते है । हाथी ऊंट ऊंचे बनाये इस लिये एक को मंड और दसरे को लंबी गर्दन दी। जानवरों के हाथ नहीं होते इस लिये मक्खी उड़ाने को उन को दुम बनायो । जो मांम खाते हैं उन के दांत तीखे किये ॥ जो घास चरते हैं उन के वैसे ही बना दिये ॥ बहुतों को ऐसी नोंद दी कि अठवारों बलाक महीनां सोते पड़े रहें । और इस ढब सर्दी गर्मी भूख प्यास किसी तरह का दुख न सहें। MIDDR4 i रंग चीज़ों का फर्क उन का रंग रूप देखने या पतला गाढ़ा कड़ा टटोलने से मालम होता है। हरयाली देखने से आंखों को ज़ियादा सुख मिलता है इसी लिये उस मालिक पैदा करने वाले ने इस दुनया में हग रंग बहुत दिया है । पर For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89