Book Title: Vidyankur
Author(s): Raja Shivprasad
Publisher: Raja Shivprasad

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Page 34
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विद्यांकुर कुत्ता केसे छत्ते बनाती हैं कि जिन में बेठी मने से शहद पिया फरें। मकड़ी अपने पेट से निकाल कर जाला तनती है। चोंटी अपने बिल में दाना इकट्ठा करती हैं तोता मैना काकातुपासुनने से आदमी को बोली बोलने 'लगते हैं। बन्दर सिखलाने से केसे केसे तमाशे करते हैं। कुत्ता अपने मालिक को कैसा पहचानता है : कबतर अपना घर केसा याद रखता है। किसी किसी जानवर को आने वाला मासिम पहले से मालूम हो जाता है। और वह उस से बचने का उपाय भी कर लेता है । देखा हिमालय के बर्फी मुल्कों को अक्सर मुगाबियां जव जानती हैं कि अब जाड़ा आवेगा और बर्फ पड़ेगा वहां से उड़ कर इधर को नदी झीलों में मेरठ रुहेलखंड अवध और बनारस तक चली आती हैं। और जब यहां गर्मी आती देखतो हैं उड़ कर फिर अपने मुल्क का चली जाती हैं । इसी तरह उत्तर ध्रुव के पास की चिड़ियां जहां समुद्र भो जम कर बर्फ को चट्टान बन जाता है हर साल इंगलिस्तान को तरफ़ चली आती है। और इंगलिम्तान को चिड़ियां मिसर में कि उस से भी गर्म हे पा जाती हैं। यह चिड़ियां एक देस से दूसरे देस को झंड बांधकर चलती हैं। और दिन भर में दो तीन सो कोस निकल जाती है । जो रात में खाती पीती हे - For Private and Personal Use Only

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