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विद्यांकुर
फट ऊंचा होता है और डेढ़ सेर का अंडा देता हे नाम उस का शुतुर्मर्ग बतलाते हैं। क्योंकि उसको गर्दन ऊंट की सी लंबी
और फारसी में शुतुर ऊंट को कहते हैं । इस से ज़ियादा ऊंचा कोई पखेरू नहीं होता है वह घोड़ों के बराबर ज़मीन पर दौड़ता है। और उसका पर बड़े बड़े दर्जे के अंगरेजों को टोपो में लगता है।
कोड़े
हड्डी वालों की तीसरी किस्म में कीड़े हैं। वो सांप कनखजरा कछुआ मेंडक मगर घड़ियाल छिपकिली गिरगट गोह बिसखपरा बहुतेरे हैं ॥ दूध पीने वाले और पखेरुओं से इन कोड़ों में यह बड़ा फ़र्क है कि उन दोनों किस्मों का लाह लाल और गर्म होता है। और इन का फोका और ठंढा रहता है। ये भी उनकी तरह सांस लेते हैं । पर इन्हें सांस लेने को हवा न मिले तो बे सांस लिये भी बहुत दिन तक जी सकते हैं । और सर्दी भी इतनी सह सकते हैं। कि उतनी वे दोनों किस्म के नहीं सह सकते देखा बर्फ के अंदर से मुदतों पीछे जीते हुए मेंडक निकलते हैं ॥ कितने ही काड़े धरती पर कितने ही पानी में और कितने ही दोनों जगह रहते हैं। कितने हो बोलते कितने ही नहीं बोलते हैं ॥ कितनों हो के चार पांव रहते हैं। और कितना हो के उस से ज़ियादा ज़ियादा होते हैं ॥ कनखजरे का नाम अंगरेजी में सौ पैर वाला है । सांप का नाम संस्कृत में उरग यानी पेट से चलनेवाला है ॥ उसके पैर नहीं होता है। वह पेट हा के बल बहुत जल्द दौड़ता है । ___ सांप बहुत किस्म के देखने में आते हैं। और उन में किसी किसी किस्म के बड़े ज़हरोले होते हैं । उन के मुंह में ऊपर
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