Book Title: Vidyankur
Author(s): Raja Shivprasad
Publisher: Raja Shivprasad

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Page 20
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir শিবায় थर दबाते हैं ॥ बाज़ मादा और जुरी उस का नर है। गो डील डोल में उस से यह कुछ छोटा होता है। जब तक मादा घोंसले में अपने अंग्रे सेती हे नर उसे चारा चुगा पहुंचाया करता है। जी मादा ज़रा भी अंडे पर से हटे अंडा सर्दी पाकर निकम्मा हो जाता है। किसी किसी के अंडे तो थोड़े ही दिन सेने पर पक कर फूट जाते हैं। और किसी किसी के बहुत दिन तक सेने पड़ते हैं ॥ मर्गी अपने अंडों पर इक्कीस दिन बैठती है । अक्सर पखेरू दो दो और उस से ज़ियादा ज़ियादा अंडे देते हैं पखेरुओं को उमर भी बड़ी होती है। बाज़ गरुड़ और तातेसो सोबरस तक जी सकते हैं। सोचकर देखा तो आदमो को इन पखेरुओं से भी बडे फ़ाइदे पहुंचते हैं क्योंकि चोल कवे गिद्ध बस्तियों के पास पास को सड़ी गली मुदार ग़लीज़ चीजें उठा ले দম্ভ जाते हैं। कभी वह सब धहीं पड़ी रहती । गंदगी से ज़रूर हवा बिगड़ कर बीमारियां फेलती ॥ सिवाय इस के इन पखेरुश्यां के सबब खेती बारी का नुकसान करने वाले और आदमियों का दुष्प देने वाले कोडे पकोड़े मच्छर फतंगे चहे मंड़क मांय कनखबरे गोह बिसनपरे For Private and Personal Use Only

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