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विद्यांकुर
कोतवाल क़ानूनगो तहसीलदार ज़मीदार और कोई धोबी लेली चमार ख़िदमतगार कहलाते हैं । समीन्दार लोग आईन क़ानून के मुताबिक चलते हैं और वो आईन क़ानून सब की सलाह और दस्तूर के मुवाफ़िक बनते हैं । जिस में सब को फ़ाइदा और आराम पहुंचे। और सारे कामों का इन्तिज़ाम बना रहे । ऐसों के साथ वही निभ सकते हैं जो आईन क़ानून को मानें । अगर आईन क़ानून के ख़िलाफ़ कुछ करें ज़रूर सज़ा पावें ॥
अनाज
बसती से बाहर ये लोग खेत बोते हैं। उसी में खाने की सब चीजें अनाज और तरकारियां होती हैं कोई ज़मीन ऐसी होती है कि चाहे जितनी मिह्नत करो उस में कुछ भी पैदा नहीं होता उसका ऊसर कहते हैं ।
बीज बोने से पहले खेत को हल चला कर दुरुस्त करलेते हैं । इस देस में हल बेलों से चलता है अंगरेजों के देस इंगलिस्तान में घोड़े और धुएं के ज़ोर से भी और अरब में ऊंटों से चलाते हैं ।
खेती बागे वाले हट्टे कट्टे भले चंगे बने रहते हैं बीमार कम होते हैं । सबब यह कि उन को सदा बाहरी तरफ़ को साफ़ और ताज़ी हवा सांस लेने को मिला करती है शहरियों की तरह गंदगी से घिरे हुए बंद नहीं रहते हैं ॥
जब खेत वा जाते हैं। सूरज की गर्मी और ज़मीन की तरी से बीजों मे खुश निकल आते हैं । फिर उनके पेड़ जम कर बढ़ने लगते हैं । जब उन में बालीभुट्टे निकल कर अनाज पक जाता है खलियान में लेजाते हैं । और वहां बेलों से रुंदवा कर और मैं उड़ा कर भूसे से अनाज को जुटा कर लेते हैं ।
हवा
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