Book Title: Uttaradhyayan Sutram
Author(s): R D Wadekar, N V Vaidya
Publisher: Fergussion College

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Page 18
________________ एयज्झयणं [-७.१९. हिंसे बाले मुसावाई अद्धाणास विलोवए। अन्नादत्तहरे तेणे माई कन्नुहरे सढे॥५॥ इत्थीविसयगिद्धे य महारंमपरिग्गहे। भुंजमाणे सुरं मंसं परिवूढे परंदमे ॥६॥ अयकक्करभोई य तुंडिल्ले चियलोहिए। आउयं नरए कंखे जहाएसं व एलए ॥७॥ आसणं सयणं जाणं वित्तं कामे य भुजिया। दुस्साहडं धणं हिच्चा बटुं संचिणिया रयं ॥८॥ तओ कम्मगुरू जन्तू पच्चुप्पन्नप्परायणे। अए ब्व आगयाएसे मरणन्तमि सोई॥९॥ तओ आउपरिक्खीणे चुया देहा विहिंसगा। आसुरीयं दिसं बाला गच्छन्ति अवसा तमं ॥१०॥ जहा कागिणिए हे सहस्सं हारए नरो। अपच्छं अम्बगं मोच्चा राया रज्जंतु हारए ॥११॥ एवं माणुस्सगा कामा देवकामाण अन्तिए। सहस्सगुणिया भुज्जो आउं कामा य दिविया ॥१२॥ अणेगवासानउया जा सा पनवओ ठिई। जाणि जीयन्ति दुम्मेहा ऊणे वाससयाउए ॥१३॥ जहा य तिनि वणिया मूलं घेचूण निग्गया। एगो ऽत्थ लहई लाहं एगो मूलेण आगओ ॥१४॥ एगो मूलं पि हारित्ता आगो तत्थ वाणिओ। ववहारे उवमा एसा एवं धम्मे वियाणह ॥ १५ ॥ माणुसत्तं भवे मूलं लाभो देवगई भवे। मूलच्छेएण जीवाणं नरगतिरिक्खत्तणं धुवं ॥१६॥ दुहओ गई बालस्स आवई वहमूलिया। देवत्तं माणुसत्तं च जं जिए लोलयासढे ॥१७॥ तओ जिए सई होइ दुविहं दोग्गई गए। दुल्लहा तस्स उम्मुग्गा अद्धाए सुइरादवि॥१८॥ एवं जियं सहाए तुलिया बालंच पंडिया मूलियं ते पवेसन्ति माणुसिं जोणिमेन्ति जे ॥१९॥

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