Book Title: Uttaradhyayan Sutram
Author(s): R D Wadekar, N V Vaidya
Publisher: Fergussion College
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१०५
लेसझयणं
[-३४.१० सिद्धाणऽणन्तभागो य अणुभागा हवन्ति । सम्वेस वि पएसग सव्वजीवे सऽइच्छियं ॥२४॥ तम्हा एएसि कम्माण अणुभागे वियाणिया। एपसि संवरे चैव खवणे य जए बुहे ॥२५॥ति बेमि॥
कम्मपयडी समत्ता ॥३३॥
॥लेसज्झयणं चतुस्त्रिंशं अध्ययनम् ॥ लेसज्झयणं पवक्खामि आणुपुन्वि जहकम। छह पि कम्मलेसाणं अणुभावे सुणेह मे १॥ नामाई वण्णरसगन्धफासपरिणामलक्खणं। ठाणं ठिई गई चाउं लेसाणं तु सुणेह मे ॥२॥ किण्हा नीला य काय तेज पम्हा तहेव य । सुकलेसा य छट्ठा ये नामाई तु जहकमं॥३॥ जीमूयनिरसंकासा गवलरिटुगसनिमा। . संजणनयणनिमा किण्हलेसा उ वण्णओ॥४॥ नीलाऽसोगसंकासा चासपिच्छसमप्पमा॥.. बेरुलियनिद्धसंकासा नीललेसा उ वण्णओ ॥५॥ अयसीपुप्फसंकासा कोइलच्छदसानिमा। पारेवयगीवनिमा काऊलेसा उवण्णओ॥६॥ हिंगुलधाउसंकासा तरुणाइञ्चसनिमा। सुयतुण्डपईवनिमा तेऊलेसा उ वण्णओ ॥७॥ हरियालमेयसंकासा हलिहाभेयसंनिमा। सणासणकुसमनिमा पम्हलेसा उ वण्णओ ॥८॥ संखंककुन्दसंकासा खीरपूरसमप्पमा। रययहारसंकासा सुक्कलेसा उ वण्णओ॥९॥ जह कडुयतुम्बगरसो निम्बरसो कडुयरोहिणिरसो वा। पत्तो वि अणन्तगुणो रसो य किण्हाए नायन्वो॥१०॥

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