Book Title: Uttaradhyayan Sutram
Author(s): R D Wadekar, N V Vaidya
Publisher: Fergussion College

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Page 114
________________ जीवाजीवविमत्ति .. [-३६.११ निम्ममे निरहंकारे वीयरामो अणासवो। संपत्तो केवलं.नाणं सासयं परिणिबुडे ॥ २१ ॥ त्ति बेमि ॥ ॥ अणमारज्झयणं समत्तं ॥ ३५ ॥. ॥जीवाजीवविमत्ती पत्रिंशं अध्ययनम् ॥ 36॥ जीवाजीवविभत्ति सणेह मे एगमणा इओ। जं जाणिऊण मिक्खू सम्म जयह संजमे ॥१॥ जीवा चेव अजीवा व एस लोए वियाहिए। अजीवदेसमामाले अलोने से वियाहिए ॥२॥ दत्वओ खत्तओ चेव कालओ भावओ तहा। परूवणा तेसि भवे जीवाणमजीवाण य॥२॥ रूविणो चेवऽरुवीय अजीवा विहा भवे। अरूवी दसहा वुत्ता रूविणो यचउब्बिहा४॥ धम्मत्थिकाए तसे तप्पएसे य आहिए। अहम्मे तस्स देसे व तप्पएसे य आहिए ॥५॥ आगासे तस्स देसे बतप्पएसे य आहिए। अद्धासमए चेव अरूवी दसहा भवे ॥६॥ धम्माधम्मे य दो चेव लोगमित्ता वियाहिया। लोगालोगे य आगासे समए समयखेत्तिए॥७॥ धम्माधम्मागासा तिनि वि एए अणाझ्या। अपज्जवसिया चेव सव्वद्धं तु वियाहिया ॥८॥ समए वि सन्तई पप्प एक्मेव वियाहिए। आएसं पप्प साईए सपज्जवसिए वि य॥९॥ खन्धा य खन्धदेसा य तप्पएसा तहेव य। परमाणुणो य बोदवा रूविणो य चउन्विहा॥१०॥ एगत्तेण पुहत्तेण खन्धा य परमाणुणो। लोएगदेसे लोप य भइयव्या से उखेत्तओ।

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