Book Title: Uttaradhyayan Sutram
Author(s): R D Wadekar, N V Vaidya
Publisher: Fergussion College

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Page 119
________________ ३६·७१ – ] उत्तराध्ययनसूत्रम् बायरा जे उ पज्जत्ता दुविहा ते वियाहिया । सहा खरा य बोद्धव्वा सण्हा सत्तविहा तहिं ॥ ७१ ॥ किण्हा नीला य रुहिरा य हालिद्दा सुक्किला तहा । पण्डुपणगमट्टिया खरा छत्तीसईविहा ॥ ७२ ॥ पुढवी य सक्करा वालुया य उवले सिला य लोणूसे । अय-तय-तम्ब - सीसंग - रुप्प - सुवण्णे य वहरे य ॥ ७३ ॥ हरियाले हिंगुलुए मणोसिला सासगंजण- पवाले । अब्भपडलऽब्भवालुय बायरकार मणिविहाणे ॥ ७४ ॥ गोमेज्जए य रुयगे अंके फलिहे य लोहियक्खे य । मरगय-मसारगल्ले भुयमोयग - इन्दनीले य ॥ ७५ ॥ चन्द्रण- गेरुय-हंसगब्भे पुलए सोगन्धिए य बोद्धव्वे । चन्दप्पह-वेरुलिए जलकन्ते सूरकन्ते य ॥ ७६ ॥ एए खरपुढवी भेया छत्तीसमाहिया । विह्मणाणत्ता सुहुमा तत्थ वियाहिया ॥ ७७ ॥ सुहुमा सव्वलोगम्मि लोगदे से य बायरा । इत्तो कालविभागं तु तेसिं वुच्छं चउन्विहं ॥ ७८ ॥ संत पप्पऽणाई या अपज्जवसिया विय । ठिडं पडुच साईया सपज्जवसिया वि य ॥ ७९ ॥ बावीससहस्साइं वासाणुकोसिया भवे । आउठिई पुढवीणं अन्तोमुहत्तं जहन्निया ॥ ८० ॥ असंखकालमुक्कीसं अन्तोमुहुत्तं जहन्नयं । कायठिई पुढवीणं तं कायं तु अमुंचओ ॥ ८१ ॥ अणन्तकालमुक्कोसं अन्तीमुहुत्तं जहन्नयं । विजढंमि सए का पुढवीजीवाण अन्तरं ॥ ८१ ॥ एसिं वण्णओ चेव गन्धओ रसफासओ । संठाणदेसओ वावि विहाणारं सहस्सओ ॥ ८३ ॥ दुविहा आउजीवा उ सुहुमा बायरा तहा। पज्जत्तमपज्जत्ता एवमेए दुहा पुणो ॥ ८४ ॥ बायरा जे उ पज्जत्ता पंचहा ते पकित्तिया । सुद्धोदय उस्से हरतणू महिया हिमे ॥ ८५ ॥ ११६

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