Book Title: Uttaradhyayan Sutram
Author(s): R D Wadekar, N V Vaidya
Publisher: Fergussion College
View full book text
________________
जीवाजीवविमती [-३६.१९१. पुन्चकोडीपुटुत्तं तु उक्कोसेण वियाहिया। कायट्टिई जलयराणं अन्तोमुत्तं जहसिया ॥ १७ ॥ अणन्तकालमुक्कोसं अन्तोमुहुत्तं जहन्नयं। विजढूमि सए काए जलयराणं अन्तरं ॥ १७७ ॥ एपसिं वण्णओ चेव गंधओ रसफासओ। संठाणदेसओ वावि विहाणाई सहस्ससो ॥१७॥ चउप्पया य परिसप्पा दुविहा थलयरा भवे । चउप्पया चउविहा ते मे कित्तयओ सुण ॥ १७९ ॥ एगखुरा दुखुरा चेव गण्डीपयसणप्पया। हयमाइगोणमाइगयमाइसीहमाइणो ॥१८० ॥ भुओरगपरिसप्पा य परिसप्पा दुविहा भवे।. मोहाई अहिमाई य एकेका गहा भवे ॥ १८१॥ लोएगदेखे ते सव्वे न सम्वत्य वियाहिया। एत्तो कालविभागं तु वोच्छं तेसिं चउन्विहं ॥१८॥ संतई पप्पणाईया अपज्जवसिया विय। टिइं पडुच साईया सपज्जवसिया वि य ॥१८३ ॥ पलिओवमा तिणि उ उक्कोसेज वियाहिया। आउट्टिई थलयराणं अन्तोसुहुत्तं जहनिया ॥ १८४ ॥ पुवकोडिपुहत्तेणं अन्तोमुत्तं जहनिया। कायट्टिई थलयराणं अन्तरं तेसिमं भवे ॥१८५ ॥ कालमणन्तमुक्कोसं अन्तोमुहुत्तं जहनयं। विजढम्मि सए काए थलयराणं तु अन्तरं ॥१८६॥ चम्मे उ लोमपक्खी य तझ्या समुग्गपक्खिया। विययपक्खी य बोद्धव्वा पक्खिणो य चउन्विहा ॥१८७॥ लोगेगदेसे ते सव्वे न सव्वत्थ वियाहिया। इत्तो कालविभागं तु वोच्छं तेसिं चउब्विहं ॥१८८॥ संतई पप्पऽणाईयां अपज्जवसिया वि य। ठिहं पडुच्च साईया सपज्जवसिया वि य॥१८९॥ पलिओवमस्स भागो असंखेज्जइमो भवे। आउट्टिई खहयराणं अन्तोमुत्तं जहानिया ॥१९०॥ असंखभागो पलियस्स उक्कोसेण उ साहिओ। पुवकोडीपुहत्तेणं. अन्तोमुत्तं जहलिया॥ १९१ ॥

Page Navigation
1 ... 124 125 126 127 128 129 130 131 132