Book Title: Uttaradhyayan Sutram
Author(s): R D Wadekar, N V Vaidya
Publisher: Fergussion College

View full book text
Previous | Next

Page 129
________________ ३६.२२३ -] उत्तराध्ययनसूत्रम् सागराणि य सत्तेव उक्कोसेणं ठिई भवे । सणंकुमारे जहनेणं दुन्नि ऊ सागरोवमा ॥२२३॥ साहिया सागरा सत्त उक्कोसेणं ठिई भवे । माहिन्दम्मि जहन्नेणं साहिया दुन्नि सागरा ॥ २२४॥ दस चेव सागराइं उक्कोसेणं ठिई भवे । बम्भलोए जहनेणं सत्त ऊ सागरोवमा ॥२२५॥ चउद्दस सागराई उक्कोसेणं ठिई भवे । लन्तगम्मि जहन्नेणं दस ऊ सागरोवमा ॥२२६ ॥ सत्तरस सागराई उक्कोसेणं ठिई भवे। महासुक्के जहन्नेणं चोद्दस सागरोवमा ॥ २२७॥ अट्ठारस सागराइं उक्कोसेणं ठिई भवे। सहस्सारे जहन्नेणं सत्तरस सागरोवमा ॥ २२८ ॥ सागरा अउणवीसं तु उकोतेणं ठिई भवे। आणयम्मि जहन्नेणं अट्ठारस सागरोवमा ॥ २२९॥ वीसं तु सागराई उक्कोसेणं ठिई भवे। पाणयम्मि जहन्नेणं सागरा अउणवीसई ॥ २३०॥ सागर। इक्वीसं तु उक्कोसेणं ठिई भवे। आरणम्मि जहन्नेणं वीसई सागरोवमा ॥२३१॥ बावीसं सागराइं उक्कोसेणं ठिई भवे। अच्चुयम्मि जहन्नेणं सागरा इक्कवीसई ॥२३२ . तेवीस सागराइं उक्कोसेणं ठिई भवे। पढमम्मि जहनेण बावीसं सागरोवमा ॥२३३॥ चउवीस सागराइं उक्कोसेणं ठिई भवे। बिइयम्मि जहन्नेणं तेवीसं सागरोवमा ॥ २३४॥ पणवीस सागराइं उक्कोसेणं ठिई भवे। तइयम्मि जहन्नेणं चउवीसं सागरोवमा ॥२३५ ।। छन्वीस सागराई उक्कोसेणं ठिई भवे। चउत्थम्मि जहन्नेणं सागरा पणुवीसई ॥२३६ ॥ सागरा सत्तवीसं तु उक्कोसेणं ठिई भवे। पंचमम्मि जहलेणं सागरा उ छवीसई ।। २३७ ॥ सागरा अट्टवीसं तु उक्कोसेणं ठिई मवे। छट्टम्मि जहनेणं सागरा सत्तवीसई ॥ २३॥

Loading...

Page Navigation
1 ... 127 128 129 130 131 132