Book Title: Uttaradhyayan Sutram
Author(s): R D Wadekar, N V Vaidya
Publisher: Fergussion College
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३६.१९२-] उत्सराध्ययनसूत्रम्
कायठिई सहयराणं अन्तरं तसिमं भवे। कालं अणन्तमुकोसं अन्तोमुहत्तं जहवायं ॥१९॥ एएसि वण्णओ चेव गन्धओ रसफासओ। संअणदेसओ वावि विहाणाहं सहस्ससो॥१९३॥ मणुया दुविहमेया उ ते मे कित्यओ सुण। संमुच्छिमा य मणुया मन्भवकन्तिया तहा ॥१९४॥ गब्मवकन्तिया जे उ तिविहा ते वियाहिया। अकम्मकम्मभूमा य अन्तरद्दीवया तहा ॥ १९५ ॥ पन्नरस तीसविहा भेया अट्टवीसई। संखा उ कमसो तेसिं इह एसा वियाहिया ॥१९६ ॥ संमुच्छिमाण एसेव मेओ होइ वियाहिओ। लोगस्स एगदेसम्मि ते सव्वे विविवाहिया ॥१९७॥ संतई पप्पडणाईया अपज्जवसिया विय। ठिई पडुच्च साईया सपज्जवसिया वि य ॥ १९८॥ पलिओवमाई तिणि उ असंखज्जाइमो भवे । आउट्टिई मणुयाणं अन्तोमुहुत्तं जहचिया ॥१९९॥ पलिओवमाई तिणि उ उक्कोसेण उ साहिया। पुवकोडिपुहत्तेणं अन्तोमुहुत्तं जहनिया ॥२०॥ कायट्टिई मणुयाणं अन्तरं तेसिमं भवे। अणन्तकालमुक्कोसं अन्तोमुहुत्तं जहवयं ॥ २०१॥ एएसि वण्णओ चेव गन्धओ रसफासओ। संठाणदेसओ वावि विहाणाई सहस्ससो॥२०॥ देवा चउन्विहा वुत्ता ते मे कित्तयओ सुण । मोमिज्ज-वाणमन्तर-जोइस-वेमाणिया तहा ॥ २०३॥ इसहा भवणवासी अट्टहा वर्णचारिणी। पंचविहा जोइसिया दुविहा वेमाणिया तहा ॥ २०४॥ असुरा नागसुबण्णा विज्जू अग्गी वियाहिया। दीवोदहिदिसा वाया थणिया. मवणवासिणो । २०५॥ पिसायभूया जक्खा य रक्खसा किश्वराय किंपुरिसा। महोरगा य गन्धन्वा अट्टविहा वाणमन्तरा॥२०६ ॥ .

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