Book Title: Uttaradhyayan Sutram
Author(s): R D Wadekar, N V Vaidya
Publisher: Fergussion College

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Page 122
________________ जीवाजीवविभत्ती [-३६.१३० एएसिं वण्णओ चेव गन्धओ रसफासओ। संठाणदेसओ वाविं विहाणाई सहस्ससो ॥११६॥ दुविहा वाउजीवा उ सुहमा बायरा तहा। पज्जत्तमपज्जत्ता एवमेव दुहा पुणो॥ ११७ ॥ बायरा जे उ पज्जत्ता पंचहा ते पकित्तिया। उक्कलिया-मण्डलिया-घण-गुंजा सुद्ध-वाया य॥११८॥ संवगवाया यऽणेगहा एवमायओ। एगविहमणाणत्ता सुहुमा तत्थ वियाहिया॥ ११९ ॥ सहुमा सव्वलोगम्मि एगदेसे य बायरा। रत्तो कालविभागं तु तेर्सि वुच्छं चउन्विहं ॥ १२०॥ संतई पप्पडणाइया अपज्जवसिया विय। ठिई.पडुश्च साईया सपज्जवसिया वि य ॥१२१॥ तिण्णेव सहस्साई वासाणुक्कोसिया भवे। आउट्टिई वाऊणं अन्तोमुहुत्तं जहनिया ॥१९॥ असंखकालमुक्कोसं अन्तोमुहुत्तं जहन्नयं। कायट्टिई वाऊणं तं कायं तु अमुंचओ ॥१२३॥ अणन्तकालमुक्कोसं अन्तोमुहुत्तं जहन्नयं। विजदंमि सए काए वाउजीवाण अन्तरं ॥१४॥ एएसिं वण्णओ चेव गन्धओ रसफासओ। संठाणदेसओ वावि विहाणाई सहस्ससो॥१२५॥ ओराला तसा जे उचउहा ते पकित्तिया। बेइन्दिय-तेइन्दिय-चउसे-पंचिन्दिया चेव ॥१२६ ॥ बेइन्दिया उजे जीवा दुविहा ते पकित्तिया। पज्जत्तमपज्जत्ता तेसिं भेए सुणेह मे ॥ १२७॥ किमिणो सोमंगला चव अलसा माइवाहया। वासीमुहा य सिप्पीया संखा संखणगा तहा ॥ १२८॥ पल्लोयाणुल्लया चेव तहेव य वराडगा। जलूगा जालगा चेव चन्दणा य तहेव य॥१२९॥ इइ बेइन्दिया एए णेगहा एवमायओ। लोगेगदेसे ते सव्वे न सव्वत्थ वियाहिया ॥ १३०॥

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