Book Title: Uttaradhyayan Sutram
Author(s): R D Wadekar, N V Vaidya
Publisher: Fergussion College
View full book text
________________
३६.४१-] उसराध्ययनसूत्रम्
फासओ लुक्खए जे उभइए से उ वण्णओ। गन्धओ रसओ चेव भइए संठाणओ वि य ॥४१॥ परिमण्डलसंठाणे भइए से उ वण्णओ। गन्धओ रसओ चेव भइए फासओ वि य॥४२॥ संठाणओ भवे वट्टे भइए से उ वण्णओ। गन्धओ रसओ चेव भइए फासओ वि य॥४३॥ संठाणओ भवे तसे मइए से उवण्णओ। गन्धओ रसओ चेव भइए फासओ वि य ॥४४॥ संठाणओ भवे चउरंसे मइए से उ वण्णओ।। गन्धओ रसओ चेव भइए फासओ वि य॥१५॥ जे आययसंठाणे भइए से उवण्णओ। गन्धओ रसओ चेव भइए फासओ वि य॥४६॥ एसा अजीवविभत्ती समासेण वियाहिया। इत्तो जीवविभत्ति वुच्छामि अणुपुव्वसो ॥४७॥ संसारत्था य सिद्धा य दुविहा जीवा वियाहिया। सिद्धा गविहा वुत्ता तं मे कित्तयओ सुण ॥४८॥ इत्थी पुरिससिद्धा य तहेव य नपुंसगा। सलिंगे अन्नलिंगे य गिहिलिंगे तहेव य॥४९॥ उक्कोसोगाहणाए य जहन्नमज्झिमाइ य। उहूं अहे य तिरियं च समुद्दम्मि जलम्मि य ॥५०॥ दस य नपुंसफ्सुं वीसं इत्थियासु य। पुरिसेस या अट्टसयं समएणेगेण सिज्झई॥५१॥ चत्तारि य गिहिलिंगे अन्नलिंगे इसेव य। सलिंगेण अट्टसयं समएणेगेण सिज्झई ॥५२॥ उक्कोसोगाहणाए य सिज्मन्ते जुगवं दुवे। चत्तारि जहनाए मज्झे अटुत्तरं सयं ॥५॥ चउरुड्डलोए य दुवे समुद्दे तओ जले वीसमहे तहेव य। सयं च अटुत्तर तिरियलोए समएणेगेण सिज्झई धुवं ॥५४॥ कहिं पडिहया सिद्धा कहिं सिद्धा पट्टिया। कहिं बोन्दि ब्रहत्ताणं कत्थ मन्तूण सिज्झई ॥ ५५॥

Page Navigation
1 ... 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132