Book Title: Uttaradhyayan Sutram
Author(s): R D Wadekar, N V Vaidya
Publisher: Fergussion College

View full book text
Previous | Next

Page 115
________________ ३६.११ – ] उत्तराध्ययनसूत्रम् इत्तो कालविभागं तु तेसिं वुच्छं च उम्विहं ॥ ११ ॥ संत पप्प तेऽणाई अपज्जवसिया वि य । ठि पडुच्च साईया सपज्जवसिया विय ॥ १२ ॥ असंखकालमुक्कोसं एक्को समओ जहनयं । अजीवाण य रूवीणं ठिई एसा वियाहिया ॥ १३ ॥ अणन्तकालसुक्को समेक्को समओ जहन्नयं । अजीवाण य रूवण अन्तरेयं वियाहियं ॥ १४ ॥ वण्णओ गन्धओ चैव रसओ फासओ तहा । ठाणओ य विओ परिणामो तेसि पंचहा ॥ १५ ॥ वण्णओ परिणया जे उ पंचहा ते पकिन्तिया । किver नीला य लोहिया हालिद्दा सुकिला तहा ॥ १३ ॥ गन्धओ परिणया जे उ दुविहा ते वियाहिया । सुब्भिगन्धपरिणामा डुब्भिगन्धा तहेव य ॥ १७ ॥ रसओ परिणया जे उ पंचहा ते पकित्तिया । तित्तकडुयकसाया अम्बिला मडुरा तहा ॥ १८ ॥ फासओ परिणया जे उ अट्टहा ते पकित्तिया । कक्खडा मउया चेव गरुया लहुया तहा ॥ १९ ॥ सीया उण्हा य निद्वा य तहा लुक्खा य आहिया । इय फासपरिणया एए पुग्गला समुदाहिया ॥ २० ॥ संठाणपरिणया जे उ पंचहा ते पकित्तिया । परिमण्डला य वट्टा व तंसा चउरंसमायया ॥ २१ ॥ aण्णओ जे भवे किण्हे भइए से उ गन्धओ । रसओ फासओ चैव भइए संठाणओ विय ॥ २२ ॥ वण्णओ जे भवे नीले भइए से उ गन्धओ । रसओ फासओ वेव भइए संठाणओ विय ॥ २३ ॥ वण्णओ लोहिए जे उ भइए से उ गन्धओ । रसओ फासओ चैव भइए संठाणओ वि य ॥ २४ ॥ वण्णओ पीयए जे उ भइए से उ गन्धओ । रसओ फासओ चैव भइए संठाणओ वि य ॥ २५ ॥ ११२

Loading...

Page Navigation
1 ... 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132