Book Title: Uttaradhyayan Sutram
Author(s): R D Wadekar, N V Vaidya
Publisher: Fergussion College
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- लेसज्मयों
[-३४.४० उप्फालगदुष्टुवाई य तेणे यावि य मच्छरी। एयजोगसमाउत्तो काऊलेसं तु परिणमे ॥२६॥ नीयावित्ती अचवले अमाई अकुऊहले। विणीयविणए दन्ते जोगवं उवहाणवं ॥२७॥. पियधम्मे वढधम्मे वजमीरू हिएसए। एयजोगसमाउत्तो तेऊलेसं तु परिणमे ॥२८॥ पयणुक्कोहमाणे य मायालोमे य पयणुए। पसन्तचित्ते दन्तप्पा जोगवं उवहाणवं ॥२९॥ तहा पयणुवाई य उवसन्ते जिइन्दिए। एयजोगसमाउत्तो पम्हलेसं तु परिणमे ॥३०॥ अरुहाणि वजित्ता धम्मसुक्काणि शायए। पसन्तचित्ते दन्तप्पा समिए गुत्ते य गुत्तिसु॥३१॥ सरागे वीयरागे वा उवसन्ते जिइन्दिए। एयजोगसमाउत्तो सुक्कलेसं तु परिणमे ॥३२॥ असंखिजाणोसप्पिणीण उस्सप्पिणीण जे समया। संखाईया लोगा लेसाण हवन्ति ठाणा ॥३३॥ मुहुत्तद्धं तु जहन्ना तेत्तीसा सागरा मुहुत्तहिया। उक्कोसा होइ ठिई नायव्वा किण्हलेसाए ॥३४॥ मुहुत्तद्धं तु जहन्ना दस उदही पलियमसंखभागमभहिया। उक्कोसा होइ ठिई नायव्वा नीललेसाए ॥३५॥ मुहुतद्धं तु जहन्ना तिण्णुदही पलियमसंखभागमभाहया। उक्कोसा होइ ठिई नायव्वा काउलेसाए ॥३६॥ मुहुतद्धं तु जहन्ना दोण्णुदही पलियमसंखभागमभाहया । उकोसा होइ ठिई नायव्वा तेउलेसाए ॥३७॥ मुहुत्तद्धं तु जहन्ना दस होन्ति य सागरा मुहुत्तहिया । उक्कोसा होइ ठिई नायब्वा पम्हलेसाए ॥ ३८॥ मुहुत्तद्धं तु जहन्ना. तेत्तीसं सागरा मुहुत्तहिया! उक्कोसा होइ ठिई नायव्वा सुक्कलेसाए ॥३९॥ एसा खलु लेसाणं ओहेण ठिई उ वणिया होइ । चउस वि गईसु एत्तो लेसाण ठित वाच्छामि ॥ ४०॥

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