Book Title: Uttaradhyayan Sutram
Author(s): R D Wadekar, N V Vaidya
Publisher: Fergussion College
View full book text
________________
तवमग्गं
[-३०.३६ इत्थी वा पुरिसो वा अलंकिओ वाऽणलंकिओ वा वि। अन्नयरवयत्थो वा अन्नयरेणं व वत्थेणं ॥२२॥ अन्नेण विसेसेणं वण्णेणं भावमणुमुयन्ते उ। एवं चरमाणो खलु भावोमाणं मुणेयव्वं ॥२३॥ दवे खेत्ते काले भावम्मि य आहिया उ जे भावा। एपहि ओमचरओ पज्जवचरओ भवे भिक्खू ॥२४॥ अट्टविहगोयरग्गं तु तहा सत्तेव एसणा। अभिग्गहा य जे अन्ने भिक्खायरियमाहिया ॥२५॥ खीरदहिसप्पिमाई पणीयं पाणभोयणं । परिवज्जणं रसाणं तु भणियं रसविवज्जणं ॥२६॥ ठाणा वीरासणाईया जीवस्स उ सुहावहा । उग्गा जहा धरिज्जन्ति कायकिलेसं तमाहियं ॥२७॥ एगन्तमणावाए इत्थीपसुविवज्जिए। सयणासणसेवणया विवित्तं सयणासणं ॥२८॥ एसो बाहिरगतवो समासेण वियाहिओ। अन्भिन्तरं तवं एत्तो वुच्छामि अणुपुत्वसो ॥२९॥ पायच्छित्तं विणओ वेयावच्चं तहेव सज्झाओ। झाणं च विउस्सग्गो एसो अन्भिन्तरो तवो ॥३०॥ आलोयणारिहाईयं पायच्छित्तं तु दसविहं। जे भिक्खू वहई सम्मं पायच्छित्तं तमाहियं ॥ ३१॥ अन्भुटाणं अंजलिकरणं तहेवासणदायणं । गुरुभत्तिभावसुस्सूसा विणओ एस वियाहिओ ॥ ३९ ॥ आयरियमाईए वेयावच्चम्मि दसविहे। आसेवणं जहाथामं वेयावच्चं तमाहियं ॥ ३३॥ वायणा पुच्छणा चेव तहेव परियट्टणा। अणुप्पेहा धम्मकहा सज्झाओ पंचहा भवे ॥३४॥ अट्टरुद्दाणि वज्जित्ता झाएज्जा सुसमाहिए। धम्मसुक्काई झाणाई झाणं तं तु बुहा वए ॥ ३५ ॥ सयणासणठाणे वा जे उ भिक्खू न वावरे । कायस्त विउस्सग्गो छट्ठो सो परिकित्तिओ ॥३६॥

Page Navigation
1 ... 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132