Book Title: Uttaradhyayan Sutram
Author(s): R D Wadekar, N V Vaidya
Publisher: Fergussion College
View full book text
________________
पमायट्ठाणं
[- ३२.२ किरियासु भूयगामेसु परमाहम्मिएसु य। जे भिक्खू जयई निच्चं से न अच्छाइ मण्डले ॥१२॥ गाहासोलसएहिं तहा असंजमम्मि य। जे भिक्खू जयई निच्चं से न अच्छद मण्डले ॥१३॥ बम्भम्मि नायज्झयणेसु ठाणेसु या समाहिए। जे भिक्खू जयई निच्चं से न अच्छह मण्डले ॥१४॥ एगवीसाए सबले बावीसाए परीसहे।। जे भिक्खू जयई निच्चं से न अच्छह मण्डले ॥१५॥ तेवीसाइ सूयगडे रूवाहिएसु सुरेसुअ। जे भिक्खू जयई निच्चं से न अच्छह मण्डले ॥१६॥ पणुवीसभावणासु उद्देसेसु दसाइणं। जे भिक्खू जयई निच्चं से न अच्छइ मण्डले ॥१७॥ अणगारगुणेहिं च पगप्पम्मि तहेव य। जे भिक्खू जयई निच्चं से न अच्छइ मण्डले ॥१८॥ पावसुयपसंगेसु मोहट्टाणेसु चेव य। जे भिक्खू जयई निच्चं से न अच्छइ मण्डले ॥१९॥ सिद्धाइगुणजोगेसु तेत्तीसासायणासु य। जे भिक्खू जयई निच्चं से न अच्छइ मण्डले॥२०॥ ईई एएस ठाणेसु जे भिक्खू जयई सया। खिप्पं सो सव्वसंसारा विप्पमुच्चइ पण्डिओ॥२१॥त्ति बमि॥
॥चरणविही समत्ता॥ ३१॥
॥पमायट्ठाणं द्वात्रिंशं अध्ययनम् ॥
अच्चन्तकालस्स समूलगस्स सव्वस्स दुक्खस्स उ जो पमोक्खो। तं भासओ मे पडिपुण्णचित्ता सुणेह एगन्तहियं हियत्थं ॥१॥ नाणस्स सवस्स पगासणाए अन्नाणमोहस्स विवज्जणाए। रागस्स दोसस्स य संखएणं एगन्तसोक्खं समुवेइ मोक्खं ॥२॥

Page Navigation
1 ... 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132