Book Title: Uttaradhyayan Sutram
Author(s): R D Wadekar, N V Vaidya
Publisher: Fergussion College
View full book text
________________
१८.२५-- ]
उत्तराध्ययन सूत्रम्
पडन्ति नरए घोरे जे नरा पाक्कारिणो । दिव्वं च गईं गच्छन्ति चरित्ता धम्ममारियं ॥ २५ ॥
मायावइयमेयं तु मुसाभासा निरत्थिया । संजममाणो वि अहं वसामि इरियामि य ॥ २६ ॥ सव्वे ते विइया मज्झं मिच्छादिट्ठी अणारिया । विजमाणे परे लोए सम्मं जाणामि अप्पगं ॥ ६७ ॥
अहमासी महापाणे जुइमं वरिसस ओवमं । जा सा पाली महापाली दिव्वा वरिससओवमा ॥ २८ ॥
से चुए बम्भलोगाओ माणुसं भवमागए । अप्पणी य परेसिं च आउं जाणे जहा तहा ॥ १९ ॥
नाणारुई च छन्दं च परिवज्जेज्ज संजए । अट्ठा जे य सव्वत्था इइ विज्जामणुसंचरे ॥ ३० ॥ पडिक्कमामि परिणाणं परमन्तेहिं वा पुणो । अहो उट्ठिए अहोरायं इइ विज्जा तवं चरे ॥ ३१ जं च मे पुच्छसी काले सम्मं सुद्धेण चेयसा । ताई पाउकरे बुद्धे तं नाणं जिणसासणे ॥ ३२ ॥ किरियं च रोयए धीरे अकिरियं परिवज्जए । दिट्ठीए दिट्टिसंपन्ने धम्मं चर सुदुच्चरं ॥ ३३ ॥ एयं पुण्णपयं सोचा अत्थधम्मोवसोहियं । भरहो वि भारहं वासं चेच्चा कामाई पव्व ॥ ३४ ॥ सगरो व सागरन्तं भरहवासं नराहिवो । इस्सरियं केवलं हिच्चा दयाए परिनिवुडे ॥ ३५ ॥ चइत्ता भारहं वासं चक्कवट्टी महिडिओ। पव्वज्जमब्भुवगओ मघवं नाम महाजसो ॥ ३६ ॥ सकुमारो मणुस्सिदो चक्कवट्टी महडिओ । पुत्तं रज्जं ठवेऊणं सो वि राया तवं चरे ॥ ३७ ॥ चइत्ता भारहं वासं चक्कवट्टी महडिओ । सन्ती सन्तिकरे लोए पत्ती गइमणुत्तरं ॥ ३८ ॥ इक्खागरायवसभो कुन्यू नाम नरीसरो । विक्खायकित्ती भगवं पत्तो गइमणुत्तरं ॥ ३९ ॥
४६.

Page Navigation
1 ... 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132