Book Title: Uttaradhyayan Sutram
Author(s): R D Wadekar, N V Vaidya
Publisher: Fergussion College

View full book text
Previous | Next

Page 60
________________ महानियण्ठिज्जं [-२०.४४ खणं पि मे महाराय पासाओ वि न फिट्टई। न य दुक्खा विमोएड एसा मज्झ अणाहया ॥३०॥ तओ हं एवमासु दुक्खमा हु पुणो पुणो। वेयणा अणुभविउं जे संसारम्मि अणन्तए ॥ ३१॥ सई च जर मुच्चेज्जा वेयणा विउला इओ। . खन्तो दन्तो निरारम्मो पव्वए अणगारियं ॥ ३२॥ एवं च चिन्तहत्ताणं पसुत्तो मि नराहिवा। परियत्तन्तीए राईए वेयणा मे खयं गया ॥ ३३॥ तओ कल्ले पभायम्मि आपुच्छित्ताण बन्धवे। रखन्तो दन्तो निरारम्भो पव्वहओऽणगारियं ॥ ३४॥ तो हं नाहो जाओ अप्पणो य परस्सय। सव्वेसिं चेव भूयाणं तसाण थावराण य ॥ ३५॥ अप्पा नई वेयरणी अप्पा मे कूडसामली। अप्पा कामदुहा धेणू अप्पा मे नन्दणं वणं ॥३६॥ अप्पा कत्ता विकत्ता य दुक्खाण य सहाण य । अग्पा मित्तममित्तं च दुप्पष्ट्रियसुपष्टिओ ॥ ३७॥ इमा हु अन्ना वि अणाहया निवा तमेगचित्तो निहुओ सुणहि। नियण्ठधम्म लहियाण वीजहा सीयन्ति प्गे बहुकायरा नरा ॥ ३८।। जो पवइत्ताण महत्वयाई सम्मं च नो फासयई पमाया। अनिग्गहप्पा य रसेसु गिद्धे न मूलओ छिन्दइ बन्धणं से ॥ ३९ ॥ आउत्तया जस्स न अस्थि काइ इरियाए भासाए तहेसणाए। आयाणनिक्खवदुगुंछणाए न धीरजायं अणुजाइ मग्गं ॥४०॥ चिरं पि से मुण्डरुई भवित्ता अथिरन्वए तवनियमहि भट्रे। चिरं पि अप्पाण किलेसइत्ता न पारए होइ हु संपराए ॥४१॥ पोल्ले व मुद्री जह से असारे अयन्तिए कूडकहावणे वा। राढामणी वेरुलियप्पगासे अमहग्धए होइ य जाणएसु॥४२॥ कुसीललिंगं इह धारइत्ता इसिज्झयं जीविय वूहइत्ता। असंजए संजयलप्पमाणे विणिग्यायमागच्छद से चिरं पि ॥ ४३ ॥ विसं तु पीयं जह कालकूट हणाइ सत्थं जह कुग्गहीयं । एसो विधम्मो विसओववन्नो हणाइ वेयाल इवाविवन्नो॥४४॥

Loading...

Page Navigation
1 ... 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132