Book Title: Uttaradhyayan Sutram
Author(s): R D Wadekar, N V Vaidya
Publisher: Fergussion College
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समिईओ
[-२३.२० दव्वओ खेत्तओ चेव कालओ भावओ तहा। जायणा चउन्विहा वुत्ता तं मे कित्तयओ सुण ॥६॥ दव्वओ चक्खुसा पेहे जुगमित्तं च खेत्तओ। कालओ जाव रीएज्जा उवउत्ते य भावओ ॥७॥ इन्दियत्थे विवज्जित्ता सज्झायं चेव पंचहा। तम्मुत्ती तप्पुरकारे उवउत्ते रियं रिए ॥८॥ कोहे माणे य मायाए लोभे य उवउत्तया । हासे भए मोहरिए विगहासु तहेव च ॥९॥ एयाई अट्ट ठाणाइं परिवज्जितु संजए। असावज्जं मियं काले मासं भासेज्ज पनवं ॥१०॥ गवेसणाए गहणे य परिभोगेसणाय जा। आहारोवहिसेज्जाए एए तिन्नि विसोहए ॥११॥ उग्गमुप्पायणं पढमे बीए सोहेज्ज एसणं । परिभोयमि चउक्कं विसोहेज जयं जई ॥१२॥ ओहोवहोवग्गहियं भण्डगं इविहं मुणी। गिण्हन्तो निक्खिवन्तो वा पउंजेज इमं विहिं ॥ १३ ॥ चक्खुसा पडिलेहित्ता पमज्जेज जयं जई। आइए निक्खिवेज्जा वा दुहओ वि समिए सया ॥१४॥ उच्चारं पासवणं खेलं सिंघाणजल्लियं । आहारं उवहिं देहं अन्नं वावि तहाविहं ॥१५॥ अणावायमसंलोए अणावाए चेव होइ संलोए। आवायमसंलोए आवाए चेय संलोए ॥ १६ ॥ अणावायमसंलोए परस्सऽणुवघाइए। समे अज्झुसिरे यावि अचिरकालकर्यमि य ॥१७॥ वित्थिपणे दरमोगाढे नासन्ने बिलवज्जिए। तसपाणबीयरहिए उच्चाराईणि वोसिरे ॥१८॥ एयाओ पंच समिईओ समासेण वियाहिया। एत्तो य तओ गुत्तीओ वोच्छामि अणुपुत्वसो ॥१९॥ सच्चा तहेव मोसा य सच्चमोसा तहेव य। चउत्थी असच्चमोसा य मणगुत्तीओ चउन्विहा ॥२०॥

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