Book Title: Uttaradhyayan Sutram
Author(s): R D Wadekar, N V Vaidya
Publisher: Fergussion College
View full book text
________________
२६.३३-] उत्तराध्ययनसूत्रम् --
वेयण-वेयावच्चे इरियटाए य संजमाए। तह पाणवत्तियाए छटुं पुण धम्मचिन्ताए ॥३३॥ निग्गन्थो धिइमन्तो निग्गन्थी विन करेज्ज छहिं चेव । ठाणेहिं उ इमेहिं अणइक्कमणा य से होइ ॥ ३४॥ आयंके उवसग्गे तितिक्खया बम्मचेरगुत्तीस । पाणिदया तवहेउं सरीरवोच्छेयणट्टाए ।। ३५॥ अवसेसं भण्डगं गिज्झ चक्खुसा पडिलेहए। परमद्धजोयणाओ विहारं विहरए मुणी ॥ ३६ ॥ घउत्थीए पोरिसीए निक्खिवित्ताण मायणं । सज्झायं च तओ कुज्जा सव्वभावविभावणं ॥३७॥ पोरिसीए चउन्माएं वन्दित्ताण तओ गुरूं। पडिक्कमित्ता कालस्स सेज्जंतु पडिलेहए ॥३८॥ पासवणुच्चारभूमिं च पडिलेहिज्ज जयं जई। । काउस्सग्गं तओ कुज्जा सव्वदुक्खविमोक्खणं ॥ ३९ ॥ देवसियं च ईयारं चिन्तिजा अणुपुत्वसो। नाणंमि दसणे चेव चरित्तम्मि तहेव य॥४०॥ पारियकाउस्सग्गो वन्दित्ताण तओ गुरूं। देसियं तु अईयारं आलोएज्ज जहक्कम ॥४१॥ पडिकमित्तु निस्सल्लो वन्दित्ताण तओ गुरुं। काउस्सग्गं तओ कुज्जा सम्वदुक्खविमोक्खणं ॥४१॥ पारियकाउस्सग्गो वन्दित्ताण तओ गुरुं। थुइमंगलं च काऊण कालं संपडिलेहए ॥४३॥ पढमं पोरिसिं सज्झायं बीयं झाणं शियायई। तइयाए निद्दमोक्खं तु सज्झायं तु चउत्थिए ॥४४॥ पोरिसीए चउत्थीए कालं तु पडिलेहिया। सज्झायं तु तओ कुज्जा अबोहेन्तो असंजए ॥४५॥ पोरिसीए चउन्माए वन्दिऊण तओ गुरुं। पडिक्कमित्तु कालस्त कालं तु पडिलेहए ॥१६॥ आगए कायवोस्सग्गे सव्वदुक्खविमोक्खणे । काउस्सग्गं तओ कुज्जा सन्वदुक्खविमोक्खणं ॥४७॥

Page Navigation
1 ... 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132