Book Title: Uttaradhyayan Sutram
Author(s): R D Wadekar, N V Vaidya
Publisher: Fergussion College

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Page 50
________________ संजइज्जं [-१८.५३ सागरन्तं चइत्ताणं भरहं नरवरीसरो। .. अरो य अरयं पत्तो पत्तो गइमणुत्तरं ॥४०॥ चइत्ता मारह वासं चहत्ता बलवाहणं । चइत्ता उत्तमे भोए महापउमे तवं चरे ॥४१॥ एगच्छत्तं पसाहित्ता महिं मानिसूरणो। हरिसेणो मणुस्सिन्दो पत्तो गइमणुत्तरं ॥ ४२ ॥ अनिओ रायसहस्सेहिं सुपरिच्चाई दमं चरे। जयनामो जिणक्खायं पत्तो गइमणुत्तरं ॥४३ ॥ दसण्णरज्जं मुइयं चइत्ताणं मुणी चरे । दसण्णभद्दो निक्खन्तो सक्खं सक्केण चोइ ओ ॥४४॥ नमी नमेइ अप्पाणं सकवं सक्केण चोइओ। चइऊण गेहं वइदेही सामण्णे पज्जुवटिओ॥ ४५ ॥ करकण्डू कलिंगेसु पंचालेसु य दुम्मुहो । नमी राया विदेहेसु गन्धारेसु य नग्गई ॥ ४६॥ एए नरिन्दवसभा निक्खन्ता जिणसासणे । पुत्ते रज्जे ठवेऊणं सामण्णे पज्जुवट्टिया ॥४७॥ सोवीररायवसभो चइत्ताण मुणी चरे। उदायणो पवइओ पत्तो गहमणुत्तरं ॥४८॥ तहेव कासीराया सेओसच्चपरक्कमे । कामभोगे परिच्चज्ज पहणे कम्ममहावणं ॥४९॥ तहेव विजओ राया अणटाकित्ति पव्वए। रज्जं तु गुणसमिद्धं पयहित्तु महाजसो ॥५०॥ तहेवुग्गं तवं किच्चा अवाक्खित्तेण चेयसा। महाबलो रायरिसी आदाय सिरसा सिरिं ॥५१॥ कहं धीरो अहेऊहिं उम्मत्तो व माहिं चरे। एए विसेसमादाय सूरा दढपरक्कमा ॥५२॥ अच्चन्तनियाणखमा सच्चा मे भासिया वई। अतरिंसु तरन्तेगे तरिस्सन्ति अणागया ॥५३॥

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