Book Title: Uttaradhyayan Sutram
Author(s): R D Wadekar, N V Vaidya
Publisher: Fergussion College
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કર
मियापुत्तीयं
जहा भुयाहिं तरिउं दुक्करं रयणागरो । तहा अणुवसन्तेणं दुत्तरं दमसागरो ॥ ४२ ॥ भुंज माणुस्सए भोगे पंचलक्खणए तुमं । भुक्तभोगी तओ जाया पच्छा धम्मं चरिस्ससि ॥ ४३॥
[ - १९.५६
सो बेइ अम्मापियरी एवमेयं जहा फुडं । इह लोए निप्पिवासस्स नत्थि किंचि विदुक्करं ॥ ६४ ॥ सारीर माणसा चेव वेयणाओ अणन्तसो । भए सोढाओ भीमाओ असई दुक्खभयाणि य ॥ ४५ ॥ जरामरणकन्तारे चाउरन्ते भयागरे ।
मए सोढाणि भीमाणि जम्माणि मरणाणि य ॥ ४६ ॥ जहा इहं अगणी उण्हो एत्तोऽणन्तगुणे तर्हि । नरपसु वेयणा उण्हा अस्साया वेड्या मए ॥ ४७ ॥ जहा इमं इहं सीयं एत्तोऽणन्तगुणं तहिं । नरएस वेयणा सीया अस्साया वेइया मए ॥ ४८ ॥ कन्दन्तो कंदुकुम्भीसु उड़पाओ अहोसिरो । हुयासणे जलन्तम्मि पक्कपुव्वो अणन्तसो ॥ ४९ ॥ महादवग्गिसंकासे मरुम्मि वइरवालुए। कलम्बवालुयाए य दडपुव्वो अणन्तसो ॥ ५० ॥ रसन्तो कन्दुकुम्भीसु उडूं बद्धो अबन्धवो । करवत्तकरकयाईहिं छिन्नपुव्वो अणन्तसो ॥ ५१ ॥ अइतिक्खकण्टगाइण्णे तुंगे सिम्बलिपायवे । खेवियं पासबद्धेणं कड्डोकडाहिं दुक्करं ॥ ५२ ॥ महाजन्तेसु उच्छू वा आरसन्तो सुभेरवं । पीलिओ मि सम्मेहिं पावकम्मो अणन्तसो ॥ ५३ ॥ कूवन्तो कोलसुणएहिं सामेहिं सबलेहि य । पालिओ फालिओ छिन्नो विष्फुरन्तो अणेगसो ॥ ५४ ॥ असीहि अयसिवण्णाहिं भल्लीहिं पट्टिसेहि य । छिन्नो भिन्नो विभिन्नो य ओइण्णो पावकम्मुणा ॥ ५५ ॥ अवसो लोहर हे जुत्तो जलन्ते समिलाजुए । चीइओ तोत्तजुत्तहिं रोज्झो वा जह पाडिओ ॥ ५६ ॥

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