Book Title: Uttaradhyayan Sutram
Author(s): R D Wadekar, N V Vaidya
Publisher: Fergussion College

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Page 23
________________ उत्तराध्ययनसूत्रम् तवनारायजुत्तेण भेत्तूर्णं कम्मकंचुयं । मुणी विगयसंगामो भवाओं परिमुच्चए ॥ २२ ॥ एयटुं निसामित्ता हे ऊकारण चोइओ । तओ नाम रायरिसिं देविन्दो इणमब्बवी ॥ २३ ॥ पासाए कारइत्ताणं वद्धमाणगिहाणि य । बालग्गपोइयाओ य तओ गच्छसि खत्तिया ॥ २४ ॥ एयम निसामित्ता ऊकारणचोइओ । तओ नमी रायरिसी देविन्दं इणमव्ववी ॥ २५ ॥ संसयं खलु सो कुणई जो मग्गे कुणई घरं । जत्थेव गन्तुमिच्छेज्जा तत्थ कुव्वेज्ज सासयं ॥ २६ ॥ एमटुं निसामित्ता ऊकारणचोइओ । तओ नाम रायरिसिं देविन्दो इणमब्बवी ॥ २७ ॥ ९-२२– ] आमोसे लोमहारे य गंठिभेए य तक्करे । नगरस्स खेमं काऊणं तओ गच्छसि खत्तिया ॥ २८ ॥ एयम निसामित्ता हेऊकारणचोइओ । तओ नमी रायरिसी देविन्दं इणमन्त्रवी ॥ २९ ॥ असई तु मणुस्सेहिं मिच्छा दण्डो पजुंजई । अकारिणोऽत्थ बज्झन्ति मुच्चई कारओ जणो ॥ ३० ॥ एयम निसामित्ता ऊकारणचीइओ । तओ नाम रायरिसिं देविन्दो इणमब्बवी ॥ ३१ ॥ जे के पत्थिवा तुझं नानमन्ति नराहिवा । बसे ते ठावइत्ताणं तओ गच्छसि खत्तिया ॥ ३२ ॥ एयम निसामित्ता ऊकारण चोइओ । तओ नमी रायरिसी देविन्दं इणमब्ववी ॥ ३३ ॥ जो सहस्सं सहस्साणं संगामे दुज्जए जिणे । एगं जिणेज्ज अप्पाणं एस से परमो जओ ॥ ३४ ॥ अप्पाणमेव जुज्झाहि किं ते जुज्झेण बज्झओ । अपणामेवमप्पाणं जइत्ता सुहमेहए ॥ ३५ ॥ पंचिन्दियाणि कोहं मांणं मायं तहेव लोहं च । दुज्जयं चैव अप्पाणं सव्वं अप्पे जिए जियं ॥ ३६ ॥ २०

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