Book Title: Uttaradhyayan Sutram
Author(s): R D Wadekar, N V Vaidya
Publisher: Fergussion College

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Page 44
________________ बम्भचेरसमाहिठाणा [-१६८ ___ नो विभूसाणुलाई हवा से निग्गन्थे। तं कहमिति चे। आयरियाह। विभूसावत्तिए विभूसियसरीरे इत्थिजणस्स अभिलसणिज्जे हवइ । तओ णं इत्थिजणेणं अभिलसिज्जमाणस्स बम्भचेरे संका वा कंखा वा वा विगिच्छा वा समुप्पज्जिज्जा भेदं वा लभेज्जा उम्मायं वा पाउणिज्जा दीहकालियं वा रोगायंकं हवेज्जा केवलिपन्नत्ताओ धम्माओ भंसेज्जा । तम्हा खलु नो निग्गन्थे विभूसाणुवाई हविज्जा ॥९॥ नो सहरूवरसगन्धफासाणुवाई हवइ से निग्गन्थे । तं कहमिति चे । आयरियाह । निग्गन्थस्स खलु सद्दरूवरसगन्धफासाणुवाइयस्स बम्भयारिस्स बम्भचेरे संका वा कंखा वा विइगिच्छा वा समुप्पज्जिज्जा भेदं वा लभेज्जा उम्मायं वा पाउणिज्जा दीहकालियं वा रोगायंकं हवेज्जा केवलिपनत्ताओ धम्माओ मंसज्जा। तम्हा खलु नो सदरूव. रसगन्धफासाणुवाई भवेज्जा से निग्गन्थे। इसमे बम्भचेरसमाहिठाणे हवह ॥ १०॥ ॥ भवन्ति इत्य सिलोगा ॥ तं जहा ॥ जं विवित्तमणाहण्णं रहियं इत्थिजणेण य। बम्भचेरस्स रक्खट्टा आलयं तु निसेवएं ॥१॥ मणपल्हायजणणिं कामरागविवडणि । बम्भचेररओ भिक्खू थीकहं तु विवज्जए ॥२॥ समं च संथवं थीहिं संकहं च अभिक्खणं । बम्भचेररओ भिक्खू निच्चसो परिवज्जए ॥ ३ ॥ अंगपच्चंगसंठाणं चारुल्लवियपेहिवं । बम्मचेररओ थीणं चक्खुगिझं विवज्जए॥ ४ ॥ कूडचं रुइयं गीयं हसियं थणियकन्दियं । बम्भचेररओ थीणं सोयगेज्झं विवज्जए ॥५॥ हासं किडं ररं वप्पं सहसावित्तासियाणि य।। बम्भचेररओ थीणं नाणुचिन्ते कयाइ वि ॥६॥ पणीयं भत्तपाणं तु खिप्पं मयविवडणं । बम्भचेररओ भिक्खू निचसो परिवज्जए ॥ ७॥ धम्मलद्धं मियं काले जत्तत्थं पणिहाणवं। नाइम तु मुंजेज्जा बम्भुचेररओ सया ॥८॥

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