Book Title: Uttaradhyayan Sutram
Author(s): R D Wadekar, N V Vaidya
Publisher: Fergussion College

View full book text
Previous | Next

Page 35
________________ १३.७ --] उत्तराध्ययनसूत्रम् देवा य देवलोगम्मि आसि अम्हे माहिड्डिया। इमा नो छट्टिया जाई अन्नमन्नेण जा विणा ॥७॥ कम्मा नियाणप्पगडा तुमे राय विचिन्तिया। तेसिं फलविवागेण विप्पओगमुवागया ॥८॥ सच्चसोयप्पगडा कम्मा मए पुरा कडा । ते अज्ज परिभुजामो किं नु चित्ते वि से तहा ॥९॥ सत्वं सुचिण्णं सफलं नराणं कडाण कम्माण न मोक्ख अथि। अत्थेहि कामोह य उत्तमेहिं आया ममं पुण्णफलोववेए ॥१०॥ जाणाहि संभूय महाणुभागं महिड्डियं पुण्णफलोववेयं । चित्तं पि जाणाहि तहेव रायं इड्डी जुई तस्स वि य प्पभूया ॥११॥ महत्थरूवा वयणप्पभूया गाहाणगीया नरसंघमझे। जं भिक्खुणो सीलगुणोववेया इहं जयन्ते समणो मि जाओ ॥१२॥ उच्चोयए महु कक्के य बम्भे पवेइया आवसहा य रम्मा । इमं गिहं चित्तधणप्पभूयं पसाहि पंचालगुणोववेयं ॥ १३॥ नट्टेहि गीपहि य वाहपहिं नारीजणाहिं परियारयन्तो। भुंजाहि भोगाइं इमाई भिक्खू मम रोयई पन्वज्जा हु दुकावं ॥१४॥ तं पुवनेहेण कयाणुरागं नराहिवं कामगुणेसु गिद्धं । धम्मस्सिओ तस्स हियाणुपेही चित्तो इमं वयणमुदाहरित्था ॥ १५ ॥ सव्वं विलवियं गीयं सत्वं नर्से विडम्बियं । सत्वे आभरणा भारा सब्वे कामा दुहावहा ॥१६॥ बालाभिरामेसु दुहावहेसुन तं सुहं कामगुणेसु रायं । विरत्तकामाण तवोहणाणं जं भिक्खुणं सीलगुणे रयाणं॥१७॥ नरिंद जाई अहमा नराणं सोवागजाई दुहओ गयाणं । जहिं वयं सव्वजणस्स वेस्सा वसीय सोवागनिवेसणेसु ॥१८॥ तीसे य जाईइ उ पावियाए वुच्छासु सोवागनिवेसणेसु।। सव्वस्स लोगस्स दुगंछाणेज्जा इहं तु कम्माई पुरे कडाई ॥१९॥ सो दाणि सिं राय महाणुमागो महिडिओ पुण्णफलोववेओ। चइत्तु भोगाई असासयाइं आयाणहेउं अभिणिक्खमाहि ॥ २०॥ इह जीविए राय असासयम्मि धणियं तु पुण्णाई अकुव्वमाणो । से सोयई मच्चुमुहोवणीए धम्म अकाऊण परंसि लोए ॥२१॥

Loading...

Page Navigation
1 ... 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132