Book Title: Trishashti Shalaka Purush Charitrasya Gadyatmaka Saroddhar Part 01
Author(s): Shubhankarsuri, Dharmkirtivijay
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 9
________________ 16 परमोपकारी पूज्यपाद श्रीविजयशीलचन्द्रसूरीश्वरजी गुरुभगवंते गया वर्षे हठीभाईनी वाडी-अमदावादमां चातुर्मास दरम्यान कलिकालसर्वज्ञ श्रीहेमचन्द्रसूरि-सूरिपदनवमशताब्दीना उपलक्ष्यमा त्रण साक्षरपुरुषोने हेमचन्द्राचार्य सुवर्णचन्द्रक एनायत करवामां आव्यो ते वखते आ ग्रंथना पुनः संपादन माटे सूचन कयु. सहर्ष में ते सूचन स्वीकारी ली. त्यारे तेओश्रीए तुरंत कह्यु - साहेबजी (प.पू.आ.श्रीविजयसूर्योदयसूरीश्वरजी) पासे जाव, तेमने वात करी अनुमति अने आशिष मेळवो. तुरंत ज हुँ साहेबजी पासे गयो. बधी वात करी अने साहेबजीनी आशिष मेळवी. साहेबजीना आ अंतरना आशिष मेळवीने कामनो प्रारंभ ते समये ज करी दीधो, वैशाख सुद-३ श्री हेमचन्द्राचार्यजीना सूरिपदने दिवसे प्रथम पर्व प्रकाशित थाय तेवी इच्छा हती, पण साहेबजीनी तबियत अने विहारादिने कारणे काम ज न थई शक्यु. त्यां अचानक ज वैशाख सुद-१ना साहेबजी काळधर्म पाम्या. मनमां बहु ज दुःख छे के साहेबजीनी उपस्थितिमां आ पर्व प्रकाशित न करी शकायु. छतां आजे तेमनी पुण्यस्मृतिमा आ ग्रंथने प्रकाशित कराय छे. संपादन पद्धति - पूर्वे ग्रंथ पोथीरूपे हतो. ज्यारे आजे तेने पस्तकाकारे प्रकाशित कराय छे. पूर्वे प्रथम पर्व - प्रथम भाग, द्वितीय-तृतीय-चतुर्थपंचम पर्व - द्वितीय भाग, षष्ठ-सप्तम पर्व - तृतीय भाग, अष्टम-नवम पर्व - चतुर्थ भाग, दशम पर्व - पंचम भाग, अंते परिशिष्ट पर्व आ रीते विभाजित करेल हतुं. तेमां फेरफार करीने द्वितीय-तृतीय पर्व - द्वितीय भाग, चतुर्थपंचम पर्व - तृतीय भाग आम, ५ भागने बदले ६ भाग अने अंते परिशिष्ट पर्व आ रीते विभाजन करवामां आव्युं छे. ग्रंथमां ज्या ज्या मोटा वाक्यो हता. त्यां नवा क्रियापद उमेरीने नाना नाना वाक्यो बनाववामां आव्या छे. तेमज नाना नाना पेरेग्राफो करवामां आव्या छे. अमुकस्थाने वाक्यरचना धातुप्रयोग बदलवामां आव्या छे. अर्थनी सुगमता माटे अल्पविरामो उमेरवामां आव्या छे. पठनमां सरळता रहे ते माटे दरेक सर्गमां ज्या ज्यां विषय बदलाय छे त्यां निशान मूकवामां आव्युं छे. तेमज अंते एक शब्दकोश मूकवामां आवेल छे. विषयानुक्रम यथावत् राखेल छे. ऋण स्वीकार - प.पू.आ.श्रीविजयसूर्योदयसूरीश्वरजी गुरुभगवंते अनुमति अने आशीर्वाद आप्या. तेमज विद्यागुरु प.पू.आ.श्रीविजयशीलचन्द्रसूरीश्वरजी महाराज साहेबे आ कार्य करवानी प्रेरणा करवा द्वारा कर्मनिर्जराना कारणरूप स्वाध्यायनो अवसर आपीने मारा उपर अपूर्व कृपा करी छे, एटले आ बने उपकारी गुरुभगवंतोनो उपकार क्यारेय भूली शकाय तेम नथी. सहाध्यायी पू.मुनिश्रीकल्याणकीर्तिविजयजी तेमज पू.मुनिश्रीत्रैलोक्यमंडन विजयजीए पण आ कार्यमां सहायता करी छे, तेमने केम वीसराय ? किरीट ग्राफिक्सवाळा श्रीश्रेणिकभाई तेमज सरस्वती पुस्तक भंडारवाळा श्रीअश्विनभाईए आ कार्य माटे खूब परिश्रम लीधो छे. 'हुँ तमारी साथे ज छु. बधुं काम थई जशे.' आ शब्दोए कार्य करती वखते मने अपूर्व बळ आप्युं छे अने एमनी कृपाथी ज आ काम थई शक्युं छे. संपादनमा अल्पमतिने कारणे क्षति रही होय तो जणाववा कृपा करशो. अंते, स्वाध्यायरसिकोने आ ग्रंथ स्वाध्याय करवामां सहायक बनी रहे एज शुभभावना. मुनिधर्मकीर्तिविजय सुरेन्द्रनगर, आसो शुद-१ वि.सं. २०६७

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