Book Title: Trishashti Shalaka Purush Charita Mahakavyam_01
Author(s): Hemchandracharya, Charanvijay
Publisher: Atmanand Jain Sabha
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प्रकाशकनुं निवेदन कलिकालसर्वज्ञ श्रीहेमचन्द्राचार्य महाराज के जेमना समयमा भारत वर्षमा संस्कृत भाषाना अनेक है प्रौढ विद्वानो हस्ती धरावता हता अने संस्कृत भाषा राजभाषा होवाथी ते काळे पूर्ण साम्राज्य भोगवती
हती. तेवा विद्वद्भोग्य समयमां आ महान् आचार्य पोतानी कुशाग्र बुद्धिथी संपूर्ण व्याकरण, काव्य, कोष, हा अलंकार, साहित्य, न्याय अने कथानुयोगना ग्रंथो संस्कृत प्राकृत भाषामां रची अन्य दार्शनिकोने अने ते
ते भाषाना प्रखर विद्वानोने चकित करी दीधा हता. तेटलुंज नहीं परंतु आजे पण आ महान् पुरुषनी |असाधारण बुद्धि, स्मरणशक्ति, प्रशंसनीय पृथक्करण शक्ति, आदर्श कृतिओ अने प्रौढ विद्वत्ता माटे भारतीय
अने पाश्चिमात्य इतिहासज्ञ अनेक विद्वानो-अभ्यासीओ मुक्तकंठे प्रशंसा करी रह्या छे. | प्रस्तुत त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र लगभग पांत्रीस हजार श्लोक प्रमाण तेओश्रीनी कृतिनो
(कथानुयोगनो) एक अपूर्व अने प्रामाणिक ग्रंथ छे. आ संस्कृत महाकाव्यमय ग्रंथ परमाईत परमदयालु ६ श्रीकुमारपालभूपालनी विनंतीथी श्रीआचार्य महाराजे रचेलो छे. | आ ग्रंथमां त्रेसठ महापुरुषोना जीवनचरित्रो साथे प्रभुना कल्याणकोना महोत्सवोर्नु अपूर्व वर्णन,
चक्रवर्तिओनो दिग्विजय, स्थानोनुं रसमय वर्णन, प्रवास वर्णन, समवसरणनी अद्भुत रचनानुं वृत्तांत, | इंद्रोए करेल प्रभु स्तुति अने जिनेश्वरोए आपेल धर्मदेशनाओगें वर्णन असाधारण अने रसयुक्त छे के जे वांचवाथी वाचकोने आत्मिक आनंद उत्पन्न करे तेवु छे. श्रीआचार्य महाराजे आ कथानुयोगनो ग्रंथ एटली
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