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स्थापन
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विषय.
पृष्ठ. विषय. जप करने योग्य स्थान
७४ तिलकोंके पदार्थ जपत्यागके अवसर ..... ७४ अक्षत-धारण संध्यावंदन कर्म
७५ गंधनलेपनका माहात्म्य आचमन करनेके अवसर
७५ गंधलगानेकी उंगलियोंका फल .... संध्याकरनेका समय
७५ तिलक लगाये बिना निषिद्ध कार्य संध्याके तीन भेद
७६ वस्त्राभूषणपर चंदनलेप संध्या का लक्षण
७६ पवित्रक-धारण संध्या न करने का फल
७७ अपनेमें इन्द्रकी स्थापना कालातिक्रम होने पर विशेष विधि .. ७७
श्रीपीठ स्थापन संध्यावंदनविच्छित्तिके अवसर ७७ प्रतिमास्थापन और सिद्धादि संध्योपासनासंबंधी मंत्र
यंत्रस्थापन ऋषितर्पण मंत्र
जिनचरणप्रक्षालन, जिनाव्हानपितृतपण मंत्र .. . ८२
स्थापन,-सन्निधिकरण, देवतातर्पण मंत्र
पंचगुरुमुद्रानिवर्तन, पायविधि,
जिनाचमन और आरती चौथा-अध्याय।
कलशस्थापन और कलशपूजन गृहागमन अस्पये वस्तुएं
दशदिक्पाल-पूजन
कलशोद्धरण और जलाभिषेक गृहनिर्माण भोजन शाला आदिका निर्माण चैत्यालयगमन, ईर्यापथ शोधन
उद्वर्तन और कोणकलशस्नपन मुखवस्त्रोद्घाटन और जिनमुखा
गंधोदक-ग्रहण वलोकन
अष्टद्रव्यार्चन दर्शन-स्तवन
९० सिद्धादियंत्रपूजन जिन पूजाक्रम
९३ शेषाधारण गर्भगृहमें जिन पूजन और मंडप
होमशालामें गमन मध्य आगमन
९३ बृहद्वेदिका और उसके चौसठ भाग मंडप की सजावट आदि .९३ जिनप्रतिमास्थापनवेदिका - वास्तु आदि देवोंका सत्कार , ९५ छत्रत्रयादिस्थापन वेदिका - सरस्वती आदिकी पूजा
९५ कुंड बनानेका स्थान और विधि चन्दनलेप और आभूषण धारण ९५ कुंडोंका प्रमाण और अंतर तिलकोंके भेद
९५ आठदिक्पालपीठ तिलकोंके स्थान और आकार . ९६ तीन प्रकारकी अग्नियां और चारों वर्णोके जुदे जुदे तिलक - ९७ उनके नाम
८८ पंचामृताभिषेक
१०३ १०३ १०३ १०४