Book Title: Swarup Sambodhan Parishilan
Author(s): Vishuddhasagar Acharya and Others
Publisher: Mahavir Digambar Jain Parmarthik Samstha
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xivI
स्वरूप-संबोधन-परिशीलन
प्रकाशकीय-2 मेरा नम्र प्रणाम है.
श्री दिगम्बर जैन मन्दिर, सतना इतिहासकारों के अनुसार वर्तमान सतना नगर के उत्तर में लगभग 2 मील दूरी पर बसा हुआ गाँव वरदाडीह/वरदावती है। सन् 1857 की क्रान्ति और उसके बाद भी सतना नगर का भू-भाग वरदाडीह बाजार कहलाता था। रीवा रियासत के महाराज रघुराज सिंह ने यह भू-भाग जो मौजा खजुरी हिस्सा स्वरूप सिंह कहलाता था, वरदाडीह के तत्कालीन जागीरदार से सन् 1863 में रेलवे लाइन निकालने और नगर बसाने के लिए लिया था। 31 जुलाई 1863 को वरदाडीह बाजार की भूमि ईस्ट इंडियन रेलवे को प्रदान कर दी गई। रेल लाइन बिछनी प्रारम्भ हुई, साथ ही बस्ती ने भी आकार लेना प्रारम्भ किया। सन् 1873 में सतना रेलवे स्टेशन का पूरा विकास हो गया।
रेलवे स्टेशन के आसपास बाजार और बस्ती के निवासी मजदूर, छोटे दुकानदार, अहीर, कुम्हार और खोंचे वाले थे। राज्य से प्रोत्साहन पाकर और व्यापार के लिए अच्छी जगह समझकर राजस्थान, कच्छ, गुजरात, बुन्देलखंड, इलाहाबाद, मिर्जापुर, बनारस, कानपुर, झाँसी, बाँदा आदि के लोग, जिनमें जैन, मारवाड़ी, कच्छी, गुजराती के अलावा अनेक जाति, पंथ, प्रान्त, धर्म और भाषा के लोग थे, आकर बसने लगे। इस नगर का विकास व्यापारियों के अथक परिश्रम के कारण हुआ है।
यद्यपि सतना नगर में सबसे प्राचीन स्थल डाली बाबा है, पर अब यहाँ उस काल का कोई मंदिर नहीं है। मुख्यारगंज मंदिर का शिलान्यास सन् 1876 में हुआ था, पर कई पीढ़ियों के प्रयास से इसका निर्माण सन् 1925 में पूर्ण हुआ।
इस दृष्टि से शिखर-बद्ध मंदिरों में दिगम्बर जैन मंदिर को हम सतना का प्रथम पूर्ण विकसित मंदिर कह सकते हैं, जिसका निर्माण वि.सं. 1937 सन् 1880 में हुआ था। ऐसा लगता है कि यहाँ बसने आये दिगम्बर जैन परिवारों ने इस मंदिर का निर्माण न्याय और परिश्रम से अर्जित अपने द्रव्य से कराया और प्रभावना-पूर्वक इसकी प्रतिष्ठा कराई। मंदिर में मूलनायक के रूप में जैनधर्म के 22वें तीर्थंकर श्री नेमिनाथ स्वामी की एक अत्यन्त सुन्दर, अतिशयकारी प्रतिमा विराजमान है। श्वेत पाषाण से निर्मित यह प्रतिमा लगभग साढ़े तीन फीट ऊँची है। इस मूर्ति के पाद-पीठ पर मूर्ति का प्रतिष्ठा-काल माघ सुदी 5 सं. 1937 सहित प्रतिष्ठापकों के नाम श्री हजारीलाल जवाहरलाल आदि टंकित हैं।
राजेन्द्र जैन अध्यक्ष, जैन समाज, सतना