Book Title: Studies in Desya Prakrit
Author(s): H C Bhayani
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 19
________________ भूमिका "देशीनाममाला' : तेनुं क्षेत्र. स्वरूप अने महत्त्व १. 'देशीनाममालानु महत्त्व हेमचंद्राचार्य रचेला शाम्रो अन काव्यामां व्याकरण अने शब्दको शने लगता ग्रंथोने भाप तेमना वाङ्मयप्रासादनी कळश कही शकीए. तेमां पण तेमणे करेलो देश्य शब्दोन संग्रह, जे 'देशीनाममाला' तरीके जाणीतो थयो छे तथा जेने हेमचंद्रे "रयणाली' एटले के 'रत्नावली' एवं नाम आपेलु छे, तेनुं महत्त्व अनन्य छे. ए एक ग्रंथनी ज तेमण रचना करी होत तो पण तमना पांडित्यनो वज लहेरातो रहयो होट. आ मात्र उपासनाप्राप्त देवनी प्रशस्ति नथी-ए सहजे वतावी शकाय. शिष्टोता सामान्य व्यवहारमा अने साहित्यमा जे भाषाप्रयोगो थया होय, थता होर अने करणीय होय ते प्रयोगोन-त पदा, वाक्या, शब्दो, बंधो अने प्रबंधोन प्रमाणीकरण हेमचंद्रे "सिद्धहेम-शब्दानुशासन', 'अभिधान-चिंतामणि' वगेरे कोशो, 'काव्यानुशासन' अने "उदोनुशासन' द्वारा कयु. व्याकरण अने संस्कृत कोशनी जेमने आधार नथी तेन्ना, प्राकृत साहित्यमा परंपराथी प्रचलित शब्दोना-एटले के देश्य शब्दोना प्रमाणीकरण माटे तेमणे 'देशीनाममाला' रची. आ माटे तेमणे पूर्ववता देश्य शब्दकोशोनू संकलन करीने तेमा आवश्यक शुद्धिवृद्धि करी, अने सामनीने एवा सुव्यवस्थित रूपे रजू करी के तेमना देशीकोशे आगळना बधा कोशोने भुलादीने प्रचारलुप्त करी दीधा. धनपाल कृत 'पाइअलच्छीनाममाला'ना एक मात्र अपवादे (तनो पण मात्र पा भाग ज देश्य शब्दोए राक्यो छे, वाकीनामां तो संस्कृतनय शब्दो छे) हेमचंद्रपर्वना बघा देशीको शो घणा समयथी नामशेष वनी गया छे. १.. केटलांक --य' प्रत्ययवाळां साधित संस्कृत अंगो पाछळना समयमां, लौकिक उच्चारणना प्रभावे, ईकारान्त स्वरूपे, लिंगपरिवर्तन पामीने (नपुंसकलिंगीने बदले स्त्रीलिंगी बनीने), मूळ स्वरूपवाळा अंगांनी साधोसाथ, विकल्पे वपरातां श्रयां हृतां. जेम के, माधुर्य माधुरी, चातुर्य चातुरी, चौर्य/चोरी, 'साक्ष्य' अने गुजराती 'साखी'ना मूळमा रहेल 'साक्षी' (एटले के 'साख'). ते ज प्रमाण दयदेशी. पड़ी 'देशी मंझा देशीको शना संक्षेप तरीके कोशवाचक पण बनी. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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