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२० : श्रमण, वर्ष ६१, अंक २ / अप्रैल-जून-१० ५. जैन जगदीशचन्द्र, जैन आगम साहित्य में भारतीय समाज, पृ. ३३०-३३२ ६. हेमचंद्र कृत, अभिधानचिन्तामणि नाममाला, पृ. ४४ ७. (अ) मुनि, हजारीमल स्मृति ग्रन्थ,पृ. ६६९ ___ (ब) देखें -अपराजितपृच्छा ग्रन्थ ८. जैन, सुरेन्द्रकुमार, पउमचरियं का साहित्यिक एवं सांस्कृतिक अध्ययन, पृ. २८३ ९. जैन, हुकमचंद, आचार्य नेमिचन्द्र सूरिकृत रयणचूडरायचरियं का
समालोचनात्मक सम्पादन एवं अध्ययन, लेखक का अप्रकाशित शोध प्रबन्ध
(१७)-१ १०. वही (८६)-११ ११. वही (८६)-१ १२. जैन हीरालाल, भारतीय संस्कृति में जैन धर्म का योगदान, पृ. ३२८ से ३३४ १३. जैन, सुधा, आचार्य जिनहर्ष गणिकृत, रयणसेहरीणीवकहा का समालोचनात्मक
सम्पादन एवं अध्ययन (अप्रकाशित शोध प्रबन्ध), पृ. ४१८-४१९ १४. जैन, प्रोफेसर प्रेमसुमन, कुवलयमालाकहा का सांस्कृतिक अध्ययन, पृ. ३३४ १५. (अ) कादम्बरी, अनुच्छेद १३९ _(ब) हर्षचरित, पृ. १५८ १६. जैन, डॉ. हुकमचंद, रयणचूडरायचरियं का समालोचनात्मक सम्पादन एवं ____ अध्ययन, लेखक का अप्रकाशित ग्रन्थ, पृ. (६१)-३ १७. अग्रवाल, वासुदेवशरण, कादम्बरी का सांस्कृतिक अध्ययन,पृ. ३२ १८. जैन, प्रेमसुमन, कुवलयमालाकहा का सांस्कृतिक अध्ययन, पृ. ३३७ १९. (अ) पाणिनि, अष्टाध्यायी, ६.७, ७४
(ब) शास्त्री, देवेन्द्रकुमार, भलविस्यतकहा तथा अपभ्रंश कथाकाव्य, पृ. ३७८
(स) वही,पृ. ३७८ २०. पउमचरियं, १७वां उद्देश। २१. (अ) ठक्करफेरू कृत वत्थुसारपयरण, ३/३५
(ब) जैन गोकुलचंद, यशस्तिलक का सांस्कृतिक अध्ययन, पृ. २४८ २२. (अ) डॉ. रेखा रानी, जयोदय महाकाव्य का दार्शनिक एवं सांस्कृतिक अध्ययन,
पृ. २६९
(ब) जयोदय, २१/६३ २३. भारतीय स्थापत्य, पृ. १०३ २४. जैन, जगदीशचन्द्र, जैन आगम साहित्य में भारतीय समाज, पृ. ५३१ २५. शर्मा, विश्वनाथ, शुद्रक का मृच्छकटिक, पृ. २७३