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विद्यापीठ के प्रांगण में : १११
विषय पर डॉ. रमेशचन्द्र जैन, निदेशक, जैन विद्या अध्ययन एवं अनुसन्धान केन्द्र, वर्द्धमान कालेज, बिजनौर द्वारा दिया गया । व्याख्यान का आरम्भ परमपूज्य साध्वी श्री भव्यानन्द जी महा. द्वारा मंगलाचरण से हुआ । विषय पर व्याख्यान देते हुए विद्वान् वक्ता डॉ. रमेशचन्द्र जैन ने चन्द्रगुप्त के विषय में जैन शास्त्रों का उल्लेख करते हुए इतिहास के अनेक तथ्यों को उजागर किया तथा उसके सन्दर्भ में नवीन संभावनाएं व्यक्त कीं। इसी प्रकार उन्होंने कुमारपाल नरेश के जैन धर्म के प्रबल अनुयायी होने की बात को स्वीकार करते हुए जैन धर्म को उनके द्वारा दिये गये राज्याश्रय तथा जैन धर्म के क्षेत्र में उनके द्वारा दिये गये अवदानों पर भी प्रकाश
डाला।
इस अवसर पर सम्पूर्णानन्द विश्वविद्यालय से प्रो० फूलचन्द जैन, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से प्रो. दीनबन्धु पाण्डेय, प्रो० कमलेश कुमार जैन, डॉ. अशोक कुमार जैन, लाल बहादुर संस्कृत विद्यापीठ दिल्ली से डॉ. अनेकान्त जैन, डॉ. अमृतलाल पाण्डेय, डॉ. आनन्द श्रीवास्तव, ओम प्रकाश सिंह, डॉ. शारदा सिंह डॉ. अंजनी कुमार मिश्र आदि विद्वान् उपस्थित थे। प्रो. सुदर्शनलाल जैन, निदेशक पार्श्वनाथ विद्यापीठ ने व्याख्यान के महत्त्व को प्रतिपादित करते हुए उपस्थित सभी विद्वानों के प्रति आभार प्रकट किया। कार्यक्रम का संचालन विद्यापीठ के सहनिदेशक डॉ. श्रीप्रकाश पाण्डेय ने किया।
ISSJS-2010 Programme
successfully completed at Parshwanath Vidyapeeth (8th June-3rd July 2010)
A Report
A group of 44 foreigner students and scholars of ISSJS (International Summer School for Jaina Studies) divided in three groups (two Junior and one Senior) visited Parshwanath Vidyapeeth for Jaina Studies programme. The First Group of 14 students arrived on June 8th morning. During their stay from 8th June-11 June, 2010 they consulted Library and attended special lectures organized by ISSJS-PV Global Centre on different aspects of Jainism. The scholars who delivered their lectures for this group, prominent among them were Prof. M. N. P. Tiwari, Dept. of History of Art, Banaras Hindu University and Dr. Priyadarshana Jain, Associate Professor, Dept. of Jainology, University of Ma