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जैन जगत् । प्राच्य विद्यापीठ शाजापुर की उपलब्धियाँ
(साध्वी प्रतिभा जी को पी-एच.डी. की उपाधि) प्राच्य विद्यापीठ शाजापुर में शोधकार्यरत साध्वी प्रतिभा जी को उनके शोधप्रबन्ध "आराधना पताका में प्रतिपादित समाधि-मरण की अवधारणा' विषय पर जैन विश्व भारती लाडनूं से पी-एच.डी. की उपाधि प्रदान की गयी। ध्यातव्य है कि इसके पूर्व भी शाजापुर, प्राच्य विद्यापीठ से १९ छात्र-छात्राएं पी-एच.डी. की उपाधि ग्रहण कर चुके हैं। साध्वी प्रतिभा जी ने अपना शोध-कार्य डॉ. सागरमल जैन के निर्देशन में पूरा किया। शोधकार्य के अतिरिक्त विद्यापीठ में अनेक प्राकृत
और संस्कृत भाषा के मूल ग्रन्थों तथा शोध ग्रन्थों का प्रकाशन भी किया जाता रहा है। संस्था के द्वारा इसी वर्ष डॉ. सागरमल जैन के शोध-प्रबन्ध “जैन, बौद्ध
और हिन्दू धर्म दर्शन के सन्दर्भ में भारतीय आचार दर्शन का तुलनात्मक अध्ययन" नामक ग्रन्थ दो खण्डों में प्राकृत भारती जयपुर की सहभागिता से प्रकाशित हुआ है। अन्य भी कुछ महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ हैं जो प्रकाशन की प्रक्रिया में चल रहे हैं।
शोक समाचार
अहिंसा के अग्रदूत आचार्यश्री महाप्रज्ञ का महाप्रयाण __ अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त आध्यात्मिक सन्त शिरोमणि, प्रेक्षाध्यान के प्रवर्तक, अहिंसा-यात्रा के अनुयायी, तेरापंथ धर्मसंघ के दशवें आचार्य महाप्रज्ञ का दिनांक ९ मई २०१० को राजस्थान के चुरु शहर में समाधिपूर्वक महाप्रयाण हो गया। चातुर्मास के लिए चुरु पहुँचे आचार्य महाप्रज्ञ को अचानक दिल का दौरा पड़ा
और डाक्टरों के अथक प्रयासों के बावजूद भी उन्हें बचाया न जा सका। ___आचार्य महाप्रज्ञ के महाप्रयाण की खबर सुनकर पूरा देश शोक संतप्त हो गया। उनके अन्तिम दर्शनार्थ देश भर से श्रावक-श्राविकाओं, उपासकउपासिकाओं के चुरु आने का क्रम प्रारम्भ हो गया। आचार्यश्री के व्यक्तित्व और कृतित्त्व को स्मरण में रखते हुए अनेक स्थानों पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलियाँ दी गयीं और सरकार से महाप्रज्ञ जी को 'भारत रत्न' प्रदान करने की मांग की गयी। अहिंसा यात्रा के प्रेरक व अध्यात्म क्षेत्र में अपने प्रभावी व्यक्तित्व व अनेकानेक साहित्यिक कृतियों के लिये विख्यात आचार्य महाप्रज्ञ जी का महाप्रयाण