Book Title: Sramana 2010 04
Author(s): Ashok Kumar Singh, Shreeprakash Pandey
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

View full book text
Previous | Next

Page 108
________________ विशिष्ट व्यक्तित्व : ९९ २००३ में उन्हें इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय एकता पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। १५ अक्टूबर २००३ को सूरत में भारत के राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के जन्मदिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम में आचार्य महाप्रज्ञ एवं राष्ट्रपति द्वारा भारत की जनता और युवा पीढ़ी को आध्यात्मिक प्रशिक्षण देने हेतु एक योजना का शुभारम्भ भी किया गया जिसे Surat Spritual Declaration (SSD) नाम से जाना जाता है। उन्होंने कुल २३३ पुस्तकों का प्रणयन किया। संस्कृत भाषा में 'संबोधि, अश्रुवीणा, मुकुलम्, अतुला तुला आदि तथा हिन्दी भाषा में 'श्रषभायण' कविता जगत् में दस्तावेजी हस्ताक्षर एवं प्रमुख ग्रन्थ माने जाते हैं। आपको जैन आगम, बौद्ध ग्रन्थों, वैदिक ग्रन्थों तथा अन्य प्राचीन एवं अर्वाचीन शास्त्रों का गहन ज्ञान था। ____ आचार्य महाप्रज्ञ का अन्तिम प्रवचन जिसमें उन्होंने कहा था “हर व्यक्ति जीने की चाह रखता है किन्तु दुःख व मृत्यु बिना बुलाये आ जाती है। अनन्त सुखानुभूति करनी है तो अपने अन्दर देखो, भीतर में अनन्त दर्शन, अनन्त ज्ञान, अनन्त आनन्द, अनन्त शक्ति है। न किसी के द्वारा दुःख दिया जाता है न सुख लिया जाता है। इसी अन्तिम प्रवचन के बाद चातुर्मास के लिये चुरु पहुंचे आचार्य महाप्रज्ञ की दिल की गति में अवरोध उत्पन्न हुआ और अपने जन्म के दसवें दशक में प्रवेश के एक माह पूर्व ही उन्होंने महाप्रयाण कर दिया। आज महाप्रज्ञ नाम एक पवित्र मन्त्र बन गया है। अनेक पुरस्कारों से पुरस्कृत होकर भी उनका मन सदा सारे प्रभावों से अछूता रहा। उनके अनासक्त अधरों पर सदा निःस्पृहता के अमर गीत मुखर होते रहे। हमें विश्वास है स्व. आचार्य महाप्रज्ञ का यह अनासक्त योग युगदीवट पर सदा प्रेरणा का दीप बनकर जलता रहेगा। ऐसे युगद्रष्टा महापुरुष के प्रति समस्त पार्श्वनाथ विद्यापीठ परिवार श्रद्धा सुमन अर्पित करता है।

Loading...

Page Navigation
1 ... 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130