________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
!
ACCORRECORRORORSCRICA
| अर्थ-वह दोनों रानियां राजाके साथ नवीन २ लीला करके अपूर्व २ क्रीड़ासे रमती भई थोड़ा है अंतर जिसमें | ऐसी गर्भवती हुई ॥५१॥
समयंमि पसूयाओ, जायाओ कन्नगाउ दोहिंपि । नरनाहो वि सहरिसो, वद्धावणयं करावेइ ॥५२॥ | अर्थ-दोनों रानियों के गर्भस्थितिके पूर्ण कालमें कन्यायें भई राजाने हर्षसहित वधाई कराई ॥५२॥
सोहग्गसुंदरी नंदणाइ, सुरसुंदरित्ति वरनाम । वीयाइ मयणसुंदरि, नामं च ठवेइ नरनाहो ॥५३॥ __ अर्थ-राजा सौभाग्यसुंदरीकी पुत्रीका सुरसुंदरी ऐसा प्रधान नाम दिया और दूसरी रूपसुंदरी रानीकी पुत्रीका | मदनसुंदरी ऐसा नाम स्थापा ॥ ५३॥
समए समप्पियाओ, ताओ सिवधम्मजिणमय विऊणं। अज्झावयाण रन्ना, सिवभूति सुबुद्धि नामाणं ५४ | अर्थ-अध्ययन कालमें दोनों कन्याओंको शिवधर्म जैनधर्मका जाननेवाला शिवभूति और सुबुद्धि नाम पाठकोंको पढ़ानेके वास्ते राजाने सोंपी ॥ ५४॥
सुरसुंदरी य सिक्खइ, लेहियं गणियं च लक्खणं छंदं । कवमलंकारजुयं, तकं च पुराण समिईओ॥५५॥ | अर्थ-सुरसुंदरी कन्या पहले लिखनेकी कला सीखें और गणित कला सीखें तदनंतर वस्तुओंका लक्षण और व्याककारण सीखें तथा छंदशास्त्र और अलंकार सहित काव्यशास्त्र सीखें और तर्कशास्त्र तथा पुराणस्मृति सीखें ॥ ५५॥
For Private and Personal Use Only