Book Title: Shilangadi Rath Sangraha Author(s): Unknown Publisher: Unknown View full book textPage 8
________________ विश्या सम्मो ६००० म एासे जीणो. चय से लोगो एउसे लीए २००० २००० १००० सुद्व्यतुणुकोणे. ५०. दिसण सएरा सब्ब एल मागो ६००० मृणो प्पा द्वारा दरि १०० सुरखी सतरको सौ. ५०० अबठ्ठा हा दरिया. १०० सध्यलव कवजती । १० १० सुकात कोसा. ५०० हा हा दरिश्री १०० दशितपी वीरमधि व दहि विद्धे घयुम विवओ ॐ 12 सुभावताए कोसो. ५०० चाहारी दरित्रो १०० कि चूलो हरियो १०० भिरकती। हत १० १० तिमि 7심 ब गुड मार्च म ॐ ५ दव्वल के ॥ नियम रथ ॥ ६ ॥ चियाएसमलो, मएसजीलो सुदव्य नए कोसे ॥ (कोसो, पाठांतर) कणाहारी एद रिम्रो, सिथ्यं तयो खीर मविवके ॥१॥ स्वीरं दहिं घयं तिल्लं, गुड योगा हिमेम विवऊं ॥ नगरकण व, नहमवि व भव दसहा ॥२॥ सुश्राबिलन लेव तथा गीत वो १० 新 काहमपि ममवि सम विषमरकामधिक ६ दुगतनPage Navigation
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