Book Title: Shilangadi Rath Sangraha
Author(s): Unknown
Publisher: Unknown

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Page 68
________________ 5Cinema 12 । - - लीणोलीन | पुरिमट्ठ-पुरिमद अणागर्य-अनागत, भविष्यमा । अगागार-आगार रहित छेय-छेदोपस्थापनीय एकासण-एकास' कया-क्यारे परिमाण-परिमाण परिहारि-परिहारविशुद्धि एकठाणे-एकलठाणु करिस्सामि-करीश कडं-करेलुं ... सुहुमसंपराय-सूक्ष्म संपराय | आंबिल-आंबिल, भावेण-भावे करीने अहख्खाय-यथाख्यात अभ्पत्त-उपवास निरवसेसं-समस्त, निरव शेष, अइकंत-अतिक्रांतने . नवकार-नोकार अणसण-अनशन कोटि सहि-कोटि सहित. बधुं सहिय-सहित अभिग्गह-अभिग्रह निट्टि-नियंत्रित 1 संकेयवियं-सकेन थइ गएलु पोरसि-पोरसि विगइ-विगय | सागारं-आगार सहित अद्धाइयं-अर्थातीत - १५ मा पच्चरकाणरथना बहारनी गाथाना अघरां शब्दोना अर्थ. नाण-ज्ञान वय-व्रत | करिस्सामि-करोश (१) | अणागारा-आगार रहित विउ-जाणनार लीणो-लीन भावेण-भावथी ... परिमाण-परिमाण मणसा-मनवडे नवकार सहियं-नवकार स- अइक्कंते-अतिक्रांत निरवसेसं-समस्त, निरवशेष पिंडथ्थ-पिंडस्थ हित, नोकारसी | कोडो-कोटि सांके-संकेतवालु झाण-ध्यान अणागयं-अनागत, भविष्य | नियटि-नियंत्रित अद्धाइयं-अर्थातीत सामाइय-सामायिकना कया-कयारे ... | मागार-आगार सहित दसहा-दश प्रकारे(२) .. ॥श्री पच्चरकाणरथ ॥२०॥ - शीलांगादि रथसंग्रह. ॥ ४ ॥ -- BLOGROGRBroGROOMorn ProRRECERESone - नाणविऊवि य मणसा, पिंडथ्थज्झाण सामाइयवयलीणो॥ नवकार सहिय मणगय, कया करिस्तामि भावेण ॥१॥ -

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